नई दिल्ली: देश के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल बिपिन रावत ने आज यह कहकर चौंका दिया कि भारत में कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित युवाओं के लिए विशेष कैंप चलाए जा रहे हैं. वो भी पाकिस्तान की तर्ज पर. जनरल रावत ने कहा कि कट्टरपंथ की समस्या का रणनीतिक तरीके से समाधान किया जा सकता है.


विदेश मंत्रालय और थिंकटैंक ओआरएफ की संयुक्त मेजबानी में आयोजित रायसीना डायलॉग के दौरान जनरल रावत ने कहा कि चरमपंथ की समस्या का समधान हो सकता है. इसके लिए देखना होगा कि वो कौन लोग हैं जो कट्टरपंथ फैला रहे हैं. कौन लोग हैं जो इससे प्रभावित हो रहे हैं. देश के पहले सीडीएस का कहना था कि कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित होने की समस्या स्कूल, कॉलेज, धार्मिक संस्थाओं समेत कई जगहों पर नजर आ रही है और फिर इसका प्रसार किया जाता है.


कट्टरपंथ की चुनौती से मुकाबले की रणनीति का हवाला देते हुए जनरल रावत ने कहा कि चरमपंथी विचारों से प्रभावित लोगों की पहचान कर उन्हें अलग किया जा सकता है. साथ ही इस बारे में भी विभेद करना होगा कि उनके कट्टरपंथी होने की सीमा क्या है. जनरल रावत के मुताबिक आज युवाओं में कट्टरपंथी विचार फैल रहे हैं और 10-12  साल की उम्र के लड़के-लड़कियां तक इससे प्रभावित हो रहे हैं. साथ ही कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरी तरह से कट्टरपंथी विचारों की गिरफ्त में हैं. ऐसे लोगों को अलग करने की जरूरत है. उन्हें कट्टरपंथ निरोधक कैंपों में रखा जा सकता है. भारत में ऐसे कैंप चल रहे हैं.


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जनरल रावत ने कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित युवाओं के लिए चल रहे शिविरों का हवाला देते हुए कहा कि भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी इस तरह के कैंप चलाए जा रहे हैं. पूर्व सेना प्रमुख का कहना था कि पाकिस्तान को भी अब इस बात का एहसास हुआ है कि जिस आतंकवाद को वो प्रायोजित कर रहे हैं वो उनका अपना दामन भी जला रहा है.


हालांकि जनरल रावत संभवतः पहले वरिष्ठ अधिकारी हैं, जिन्होंने भारत में कट्टरपंथ की समस्या से निपटारे के लिए देश में खास शिविर चलाए जाने की बात कही है. इससे पहले चरमपंथ की समस्या और युवाओं में इसके प्रभाव से जुड़े सवालों पर सरकार यही कहती रही है कि वो ऐसे सभी मामलों पर सतत निगरानी बनाए रखती है. साथ ही सुरक्षा एजेंसियां ऐसा कोई भी मामला सामने आने पर जरूरी कानूनी कदम उठाती है.


पिछली लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सदन को बताया था कि खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां ऐसे लोगों की पहचान कर निगरानी करती हैं, जो देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होते हैं या युवाओं को गुमराह कर भड़काने का प्रयास करते हैं. इसके अलावा सरकार कट्टपंथ की रोकथाम के लिए कई उपाय कर रही है. हालांकि नवंबर 2016 को सदन में दिए जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर इन उपायों की जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया.


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बहरहाल, चरमपंथ की समस्या को लेकर भीतरखाने सरकार कदम जरूर उठाती रही है. पिछले कार्यकाल में प्रधानमंत्री ने पूर्व आईबी प्रमुख आसिफ इब्राहिम को कट्टरपंथ निरोधक उपायों के लिए अपना विशेष दूत नियुक्त किया था. इसके अलावा गृह मंत्रालय ने नवंबर 2017 में काउंटर टेररिज्म- काउंटर रेडिक्लाइजेशन और सायबर इंफोर्मेशन सिक्योरिटी के लिए दो नए विभागों का भी गठन किया है.


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