नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर जारी विवाद में किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध बरकरार है. एमजीआर इस आंदोलन की आंच ने विदेशों में कई भारत-विरोधी और अलगाववादी संगठनों को अपनी रोटियां सेंकने का मौका दे दिया है.


भारत में किसानों की मांगों पर समर्थन और हमदर्दी की आड़ में सिख फ़ॉर जस्टिस और जॉइंट खालिस्तान फ्रंट जैसे खालिस्तानी संगठन अपना अलगाववादी एजेंडा बढ़ाने में लगे हैं. ज़ाहिर है विदेशों में रहने वाली ऐसे लोगों को भारत के किसानों और उनके मुद्दों से ज़्यादा फिक्र अलगाववाद की आग को हवा देने की है.


जॉइंट खालिस्तानी फ्रंट के संयोजक अमरजीत सिंह जैसे घोषित भारत विरोधी तत्व तो खुले आम न केवल पाकिस्तान से मदद मांग रहे हैं. बल्कि अमेरिका से चल रहे टीवी 84 जैसे प्रोपेगेंडा चैनल और सोशल मीडिया के माध्यम से इस बात की शिकायत भी दर्ज कराते नज़र आते हैं कि पाक मीडिया और सरकार भारत के किसान आंदोलन पर ज़्यादा ध्यान नहीं दे रही. इतना ही नहीं आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा के आतंकी और भारत में वांटेड परमजीत सिंह पम्मा जैसे लोग बीते दिनों लन्दन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हुए प्रदर्शन में खुलेआम खालिस्तानी झण्डे लहराते और भारत-विरोधी नारे लगाते हुए कैमरों पर नज़र आए.


इतना ही नहीं 12 दिसम्बर को वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के बाहर लगी गांधी प्रतिमा को भी खालिस्तानी झंडे से ढंकने की कोशिश की गई. इस घटना पर सख्त ऐतराज़ दर्ज कराते हुए भारतीय दूतावास ने जहां वाशिंगटन पुलिस को शिकायत दर्ज करीब है. वहीं इस मामले को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के साथ भी उठाया है. भारत ने अमेरिका सरकार से इस मामले के मुकम्मल जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.


इस बीच भारत सरकार ने उन देशों का आगाह किया है जहां बड़ी संख्या में सिख आबादी रहती है. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक सम्बंधित देशों में मौजूद भारतीय दूतावासों के माध्यम से मित्र देशों की सरकारों को सतर्क किया गया है कि भारत में हो रहे घटनाक्रमों की आड़ में उनके नागरिकों को बरगलाने की कोशिश है सकती है. इतना ही नहीं भारतीय पक्ष ने इस मामले का इस्तेमाल विदेशी ताकतों द्वारा किए जाने को लेकर भी अपनी चिंताएं साझा की हैं.


पम्मा समेत खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की कवायदों के बारे में पूछी जाने पर विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने हाल हमें सिख फ़ॉर जस्टिस और रेफरेंडम 2020 से जुड़े 16 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. इस मामले में जो भी अवश्यक कार्रवाई है वो की जा रही है.


हालांकि, किसान आंदोलन में खालिस्तानी सेंध का लेकर फिक्र केवल सरकार की ही नहीं है बल्कि आंदोलन का हिमायती भी इसको लेकर चिंतित हैं. दिल्ली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके कहते हैं कि किसानों की शिकायत अपनी सरकार से है. इसमें किसी भी तरह सिख फ़ॉर जस्टिस या गुरपतवन्त सिंह पन्नू जैसे लोगों का कोई वास्ता नहीं है. ऐसे लोग न तो किसानों का भला कर सकते हैं और न उनके मुद्दों का. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में उन्होंने कहा कि किसानों का मुद्दा किसी एक धर्म या पंथ का नहीं है. लेकिन जानबूझकर इसे एक धर्म का मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है जिसकी इजाजत नहीं दी जा सकती.


इस बीच आंदोलन पर बैठे किसान संगठन भी इस बात की कोशिश में जुटे हैं कि कहीं उनके आंदोलन की आड़ में अलगाववादी ताकतों का अलाव न जलने लगे. अधिकतर किसान नेता इस बात पर लगातार ज़ोर दे रहे हैं कि आंदोलन शांतिपूर्ण बना रहना चाहिए और उसके राजनीतिकरण की इजाजत नहीं दी जा सकती. हालांकि दिल्ली के करीब सिंघु बॉर्डर से लेकर सोनीपत तक फैले धरने में कुछ शरारती तत्व खालिस्तानी झंडों की तस्वीरें बनाने की कोशिश कर लेते हैं.


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