हैदराबाद की फिजाओं में गुरुवार को सियासी गहमागहमी और पुराने कानूनी दांव-पेच का असर साफ देखा गया. सत्ता के शिखर से हटने के बाद यह एक ऐसा दिन था, जब आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के प्रमुख वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी को एक बार फिर विशेष सीबीआई अदालत के कड़े सुरक्षा घेरे में कदम रखना पड़ा. नामपल्ली स्थित किमिनल कोर्ट कॉम्पलेक्स के बाहर बड़ी संख्या में भीड़ देखने को मिली. इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात किया गया था.
यह पेशी इसलिए भी अहम मानी जा रही थी क्योंकि जगन मोहन रेड्डी प्रत्यक्ष रुप से अदालत में हाजिर हुए. इससे पहले वह 10 जनवरी 2020 को मुख्यमंत्री कोर्ट में पेश हुए थे. इससे पहले कोर्ट ने उन्हें कोर्ट में हाजिर होने के लिए सख्त निर्देश दिए थे. पिछले सालों से वह लगातार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारियों का हवाला देकर पेशी से छूट ले रहे थे. कोर्ट ने उन्हें यूरोप यात्रा की अनुमति देते हुए वापसी के बाद अदालत में पेश होने के लिए कहा था.
सीबीआई ने किया था छूट का विरोध
सीबीआई ने कोर्ट में जगन मोहन रेड्डी को मिल रही छूट का विरोध किया था. इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 21 नवंबर को पेश होने का अल्टीमेटम दिया था. इसका पालन करते हुए वे समय सीमा से एक दिन पहले कोर्ट में हाजिर हुए.
अदालत में क्या हुआ?
अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री की उपस्थिति को दर्ज करते हुए, उनकी याचिका पर सुनवाई बंद कर दी. अदालत ने परिसर में कुछ वक्त रहने के बाद जगन अपने लोटस पॉन्ड स्थित आवास की ओर लौट गए. इस दौरान परिसर के बाहर मौजूद उनके समर्थकों की भीड़ को उन्होंने हाथ हिलाकर अभिवादन किया.
क्या है मामला?
यह मामला उनके पिता वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल से जुड़ा है. 2004-2009 में कथित 'क्विड प्रो क्वो' के आरोपों से जुड़ा है. सीबीआई और ईडी का आरोप है कि जगन की कंपनियां जिनमें जगती पब्लिकेशन और भारती सीमेंट्स में सरकारी रियायतों के बदले भारी निवेश किया गया था. इस मामले में 11 चार्जशीट सीबीआई ने दाखिल की थी. इसमें जगन मोहन रेड्डी को मुख्य आरोपी (A-1) बनाया गया है. इस मामले में वो 2013 से जमानत पर हैं.