Northeast States:  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों (Northeast States) में उग्रवाद (Terrorism) के चलते पिछले 8 सालों के दौरान सुरक्षाकर्मियों (Security Personnel) की मृत्यु में 60% की कमी हुई है जबकि स्थानीय लोगों के मारे जाने की घटनाओं में 83% की कमी आई है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजीजू, जनजातीय कार्य राज्यमंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता और जनजातीय कार्य एवं जलशक्ति राज्यमंत्री विश्वेश्वर टुडू सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “गृह मंत्रालय के अंतर्गत नॉर्थ-ईस्ट, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों और जम्मू कश्मीर में जनजातियों से जुड़ी हुई अनेक समस्याएं लंबित थीं. जो धीरे-धीरे कानून और व्यवस्था की स्थिति में परिवर्तित हो गईं. प्रधानमंत्री जी ने 2019 के बाद पूर्वोत्तर में एक के बाद एक कई कदम उठाए हैं. कई जनजातियों के साथ हमने समझौते किए हैं.”

‘पूर्वोत्तर  के लगभग 66% से ज्यादा क्षेत्र से AFSPA हटा’ अमित शाह ने कहा, “विभिन्न जनजातियों और संगठनों के साथ हुए समझौते के कारण आज AFSPA को पूर्वोत्तर के लगभग 66% से ज्यादा क्षेत्र से हमने हटा लिया है और शांति स्थापित की है. उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस की केंद्र सरकार के बारे में बोलते हुए कहा कि वर्ष 2006 से 2014 तक के पिछली सरकार के आठ सालों में छोटी-छोटी घटनाओं को गिनकर पूर्वोत्तर में 8700 घटनाएं हुईं थीं जबकि नरेंद्र मोदी जी के 8 सालों के शासन में इन घटनाओं में लगभग 70% की कमी आई है. पहले 304 सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु हुई थी जिसमें अब 60% की कमी आई है. नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा भी पहले की तुलना में 83% तक कम हुआ है और इन सबसे आप कल्पना कर सकते हैं कि पूर्वोत्तर में कितना बड़ा बदलाव आया है.”

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि जिस क्षेत्र में शांति होती है उसी क्षेत्र में विकास होता है फिर चाहे वो वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र हो या पूर्वोत्तर हो. सुरक्षित पूर्वोत्तर और सुरक्षित मध्य भारत के वामपंथी उग्रवाद ग्रस्त क्षेत्र जनजातीय कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं.

यह अनुसंधान संस्थान सरकार को नीतिगत जानकारी देगाकेंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में महसूस किया कि राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय नीतियां देश की सभी जनजातियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. जनजाति संबंधी लीगेसी के मुद्दों पर भी कई विवाद सालों से लंबित हैं जिनका निपटारा भी जरूरी है.  जनजातीय मुद्दों पर नॉलेज बैंक भी बनाना चाहिए. इन सभी को ध्यान में रखकर इस संस्थान की कल्पना की गई थी जो लगभग 10 करोड़ रूपए की लागत से आज पूरी हो गई है.

अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि यह अनुसंधान संस्थान सरकार को नीतिगत जानकारी देगा. राष्ट्रीय नोडल एजेंसी के रूप में भी काम करेगा. सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय ज्ञान केंद्र (National Knowledge Center) भी यहीं बनाया जाएगा और शैक्षणिक, कार्यकारी और विधायी क्षेत्र में जनजातियों की समस्याओं के समाधान के लिए भी काम करेगा.

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