नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनपीआर में सरकार कोई दस्तावेज नहीं मांगेगी. उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों पर राज्यसभा में जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार दंगों में शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शेगी, वह चाहे किसी भी धर्म या राजनीतिक विचारधारा के हों. उन्होंने कहा कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि दंगे षड्यंत्र का एक हिस्सा थे और दंगों की फंडिंग करने वालों को सजा मिलेगी.
दिल्ली हिंसा में 700 से ज्यादा एफआईआर दर्ज- शाह
अमित शाह ने कहा कि इस हिंसा में जिन लोगों की जान गई है उन सब के लिए हृदय की गहराइयों से दुख व्यक्त करता हूं. उन्होंने सदन को बताया कि 26 तारीख के बाद से 700 से ज्यादा प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं. 2647 लोग हिरासत में लिए गए हैं. दिल्ली के आम नागरिकों से भी दंगे में हुई हिंसा से संबंधित वीडियो फुटेज मंगाए गए हैं और बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस को फुटेज प्राप्त भी हुए हैं. सीसीटीवी और वीडियो फुटेज का डिटेल एनालिसिस किया जा रहा है. फेस आईडेंटिफिकेशन सॉफ्टवेयर द्वारा चेहरों की पहचान की जा रही है जिसके आधार पर यह भी तथ्य प्राप्त हुए हैं कि 330 से ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश से आकर यहां हिंसा करने के लिए जिम्मेदार हैं. उन्होंने बताया कि फेस आईडेंटिफिकेशन के लिए आधार कार्ड का उपयोग नहीं किया जा रहा है और किसी की निजता भंग नहीं की जा रही. बड़ी संख्या में लोगों को पहचान लिया गया है जो दंगा करते हुए, दंगों में लोगों का नुकसान करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
'दंगा करने वाले कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे'
गृहमंत्री ने कहा कि शांति समिति की साढ़े 600 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं जिनमें सभी धर्मों के लोग शामिल हैं. 40 से अधिक टीम द्वारा दंगों में शामिल लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं. इस तरह के कामों में लिप्त संस्थाओं में कितनी राशि कहां से आई है इस पर भी जांच की जा रही है. उन्होंने बताया कि पांच लोग जो दिल्ली के दंगों में वित्तीय सहायता पहुंचा रहे थे उनकी शिनाख्त कर ली गई है. जिन्होंने भी दंगा करने की हिमाकत की है वह कानून की गिरफ्त से भाग नहीं पाएंगे.
दिल्ली पुलिस ने सकारात्मक कदम उठाए- अमित शाह
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली के चार फीसदी क्षेत्र और 13 फीसदी आबादी तक ही हिंसा सीमित रखने का काम दिल्ली पुलिस ने किया है. यह हिंसा 12 थानों तक ही रुकी रही. यह एक अच्छा प्रयास रहा. दिल्ली के एक हिस्से में जो हिंसा हो रही थी वह दिल्ली के दूसरे भागों में न फैले इस दिशा में दिल्ली पुलिस द्वारा सकारात्मक कदम उठाए गए जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र हैं.
दंगों की फंडिग करने वालों को पाताल से ढूंढ निकालेंगे- गृहमंत्री
गृहमंत्री ने ये भी कहा कि 24 फरवरी 2020 को दंगों की पहली सूचना प्राप्त हुई और 25 फरवरी रात 11 बजे अंतिम सूचना प्राप्त हुई. दिल्ली पुलिस ने बहुत ही संयम से काम लेकर 36 घंटों के अंदर हिंसा को समेटने का काम किया है. गंभीर 50 मामलों में तीन एसआईटी बनाकर डिटेल इन्वेस्टिगेशन किया जा रहा है. बगैर लाइसेंस के निजी हथियार चलने की सूचना भी प्राप्त हुई है जिसमें 49 मामले दर्ज किए गए हैं. इसमें 52 लोगों की गिरफ्तारी हुई है और लगभग सवा सौ हथियार भी पकड़े गए हैं. दंगों की फंडिंग करने वालों को पाताल से भी ढूंढ निकालेंगे और उन्हें सजा मिलेगी. आईएसआईएस के संलिप्त होने के भी प्रमाण मिले हैं और पुलिस जांच की जा रही है.
आईबी कर्मी अंकित शर्मा के हत्या के आरोपियों को गिफ्तार किया गया
अमित शाह ने कहा आईबी कर्मी अंकित शर्मा और दिल्ली पुलिस के कर्मचारी रतन लाल की हत्या करने वाले आरोपियों को किया गया है और जांच जारी है. भविष्य में दंगा न हो इसके लिए दिल्ली में दंगाइयों से जुर्माना वसूलने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है और क्लेम कमिश्नर की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है. लोगों के मन में विश्वास होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी सरकार तेज गति से निष्पक्ष जांच करेगी. जांच के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए. 22 तारीख से 26 फरवरी तक जितनी भी फोर्स की आवश्यकता थी तैनाती की गई.
सीएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं
गृहमंत्री ने कहा कि सीएए को लेकर पूरे देश के अल्पसंख्यकों को गुमराह किया जा रहा है. उनके मन में भय पैदा किया गया है. सीएएए में किसी की भी नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है इसमें केवल पीड़ित लोगों को नागरिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को एक होकर कहना होगा कि सी ए ए से किसी की भी नागरिकता नहीं जा रही. उनका यह भी कहना था कि एनपीआर के अंदर कोई भी दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा . सूचना देने के लिए विकल्प मौजूद हैं और उसके आधार पर सूचना दी जा सकती है और किसी को भी संदेह की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा. अमित शाह ने कहा कि देश की कुछ बड़ी पार्टी के नेता लोगों को उकसा रहे थे और 14 दिसंबर की हेट स्पीच के बाद ही शाहीन बाग का धरना शुरू हुआ. भड़काऊ भाषण 24 तारीख को दंगों की शक्ल में परिवर्तित हो गए. दिल्ली दंगों में पैसा पहुंचा है. सोशल मीडिया में भड़काया गया है. इन सब की जांच चल रही है और कोई बच नहीं पाएगा.
होली के बाद चर्चा का प्रस्ताव क्यों? इसके साथ ही उन्होंने सदन को बताया कि 2 तारीख को जब सदन शुरू हुआ तब तक दंगा समाप्त हो चुका था और पुलिस जांच की कार्रवाई कर रही थी. पुलिस वहां की व्यवस्था को ठीक करने में लगे थे और साथ ही होली का त्यौहार भी था. होली का त्यौहार सद्भावना का त्योहार है. यह आवश्यक था कि त्योहार के मौके पर लोगों की भावनाओं को शांत रखा जाए इसलिए होली के तुरंत बाद 11 और 12 तारीख को दोनों सदनों में चर्चा कराने का प्रस्ताव रखा गया. जज के ट्रांसफर संबंधी सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इस संबन्ध में निर्णय सुप्रीम कोर्ट के कोलोजियम द्वारा लिया जाता है. इसमें सरकार की दखलंदाजी नहीं होती है.