नई दिल्ली: देश में जब तमाम बड़े राजनेता अखबारों और टीवी चैनलों की सुर्खियां इसलिए बने हुए हैं, क्योंकि उन्होंने उपहार में मिली पेंटिंग्स और दूसरी वस्तुओं को ऊंचे दामों पर अपने परिचितों को नीलाम कर दिया, ताकि इसका फायदा वह खुद उठा सकें, जबकि हमारे सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे मामलों में एक अलग उदाहरण पेश करते हैं. आपको बता दें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर अपने पिता राजीव गांधी की एक पेंटिंग को दो करोड़ रुपए में यस बैंक के संस्थापक और सीईओ राणा कपूर को नीलाम करने के आरोप लगे हैं. आरोप यह भी है कि यह पेंटिंग स्वर्गीय राजीव गांधी को उनके प्रधानमंत्री रहते हुए मशहूर चित्रकार एम एफ हुसैन ने उपहार स्वरूप दी थी. बीजेपी आरोप लगा रही है कि प्रधानमंत्री की हैसियत से उपहार में मिली वस्तु सरकारी खजाने का हिस्सा होती हैं. उपहार में मिली कोई भी वस्तु निजी उपयोग में नहीं ली जा सकती, जबकि प्रियंका गांधी ने यह पेंटिंग दो करोड़ रुपए में बेच दी.
एक ओर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर अपने पिता की पेंटिंग को गलत तरीके से बेचने और उसकी राशि को हड़पने के आरोप लग रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक उपहारों की नीलामी से 107 करोड़ रुपए प्राप्त कर चुके हैं और इस राशि का उपयोग कन्या शिक्षा और नमामि गंगे मिशन में दान दे चुके हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के काल से ही समाज के निचले और गरीब तबके ऊपर उठाने और उन तक पहुंचने का अथक प्रयास करते रहे हैं. गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए ना केवल अपनी योजनाओं से और सरकार के कार्यों बल्कि अपने नवाचार और नए नए प्रयोग के जरिए निजी रूप से भी उनके उत्थान में लगे रहे.
नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के 13 साल के कार्यकाल में उनको मिले उपहारों की नीलामी के जरिए 89.96 करोड रुपए उगाए, मोदी ने नीलामी से मिले इन पैसों का इस्तेमाल निजी शौक के लिए नहीं किया, बल्कि उन्होंने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कन्या कलावनी निधि योजना में राशि दान कर दी.
प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम नवाचार और उत्पादकता से भरपूर था. उन्होंने यह तय किया कि उपहार में मिली तमाम वस्तुएं ना तो सरकारी खजाने में व्यर्थ पड़ी रहेंगी और ना ही यह किसी संग्रहालय में दर्शकों को देखने के लिए छोड़ दी जाएंगी. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि उपहार में मिली इन वस्तुओं का बेहतर इस्तेमाल हो सके. इसके अतिरिक्त उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों को समाज में योगदान के लिए आगे आने को कहा. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उपहार में मिली वस्तुओं की नीलामी से कन्या शिक्षा को बढ़ावा मिले.
नरेंद्र मोदी जब साल 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए नामित हो चुके थे, तब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते मिली 21 लाख रुपए की सैलरी और व्यक्तिगत बचत को एक कॉरपस फंड में दान दे दिया, ये कॉरपस फंड गुजरात सरकार के वाहनों के ड्राइवर और सरकारी कार्यालयों में चपरासी का काम करने वाले कर्मचारियों के बच्चियों की शिक्षा के लिए बनाया गया है.
साल 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद संस्कृति मंत्रालय ने प्रधानमंत्री को उपहार में मिली वस्तुओं की तीन बार नीलामी की, यह नीलामी फरवरी 2015, जनवरी 2019 और सितंबर-अक्टूबर 2019 में आयोजित की गई. इस नीलामी से कुल 15.13 करोड रुपए प्राप्त हुए जिसे गंगा सफाई के लिए बनाया गया नमामि गंगे मिशन में दान दे दिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियोल पीस प्राइज यानी कि सियोल शांति पुरस्कार से मिली 1.3 करोड रुपए की राशि को भी नमामि गंगे फंड में दान दे दिया, नमामि गंगे केंद्र सरकार की गंगा नदी को स्वच्छ बनाने की महत्वाकांक्षी योजना है.
साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सैलरी से हुई बचत के 21 लाख रुपए दान दे दिए. प्रधानमंत्री ने यह राशि कुंभ मेला में सफाई कर्मचारियों के कल्याण के लिए बनी संस्था को दान दी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यह सभी काम इस बात का उदाहरण है कि वे स्वामी विवेकानंद की उस फिलासफी मैं भरोसा करते हैं, जिसमें दरिद्र नारायण की सेवा ही भगवान की सेवा के समान है. यानी गरीब की सेवा भगवान की सेवा के बराबर है. और यह सभी काम प्रधानमंत्री के सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास में भरोसे को और पुख्ता बनाते हैं.
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