नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव में हुई पार्टी की दुर्गति के महीने भर बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली कांग्रेस की कमान युवा नेतृत्व को सौंपते हुए अनिल चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. इसके साथ ही पांच उपाध्यक्ष भी नियुक्त किए गए हैं, जिनमें चार युवा हैं. दिलचस्प यह है कि पांच उपाध्यक्षों में से तीन दिल्ली कांग्रेस के बड़े नेताओं के बेटे-बेटी हैं.

नियुक्ति के एलान के बाद दिल्ली कांग्रेस के नए अध्यक्ष अनिल चौधरी ने ABP न्यूज से कहा कि "मैं गौरवान्वित हूं कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मुझ जैसे सामान्य पृष्ठभूमि से आने वाले कार्यकर्ता पर भरोसा जताया है. फिलहाल मेरा ध्यान उत्तरपूर्वी दिल्ली के दंगा पीड़ितों के राहत कार्य पर है. पार्टी के सभी साथियों के सहयोग से हम दिल्ली में वापसी करेंगे."

43 साल के अनिल चौधरी फिलहाल कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के तौर पर ओडिसा कांग्रेस के सह प्रभारी हैं. वह पूर्वी दिल्ली की पटपड़गंज विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. गूजर समाज से आने वाले अनिल चौधरी दिल्ली यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अनिल चौधरी की छवि युवा जुझारू नेता की है, लेकिन अब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर बेहद कठिन परीक्षा का सामना करना पड़ेगा.

उपाध्यक्षों में सबसे अहम नाम है अभिषेक दत्त का. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पार्षद अभिषेक दत्त को बीते विधानसभा चुनाव में सभी कांग्रेस उम्मीदवारों में सबसे अधिक वोट प्रतिशत मिला. उन्हें दिल्ली कांग्रेस के भविष्य के अहम चेहरे के तौर पर देखा जाता है.

पूर्व विधायक और दलित नेता जयकिशन को उपाध्यक्ष बनाया गया है. अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की सूची में जयकिशन सबसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं.

दिल्ली कांग्रेस की नियुक्तियों में भी परिवारवाद की छाप दिखाई देती है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा और जेपी अग्रवाल के बेटे मुदित अग्रवाल और पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे अली मेहंदी को उपाध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि जहां मुदित काफी समय से कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हैं और अली मेहंदी दिल्ली कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष हैं, वहीं कुछ महीनों पहले राजनीति में आई शिवानी चोपड़ा का इस सूची में होना हैरानी भरा है, जबकि पार्टी के पास अलका लांबा जैसा विकल्प मौजूद था. इसी तरह पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष देवेंद्र यादव और राजेश लिलोठिया जैसे नेताओं का नाम भी सूची से नदारद है.

पिछले महीने आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस ने अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन किया. पार्टी खाता खोलने में तो नाकाम रही ही, वोट शेयर लुढ़क कर 4 प्रतिशत रह गया. ऐसे में नई नियुक्तियों से साफ है कि कांग्रेस ने भविष्य की राजनीति के लिए युवा नेतृत्व पर भरोसा किया है. लेकिन दिल्ली में कांग्रेस की वापसी करवा पाना नए और 'अनुभवहीन' नेतृत्व के लिए बेहद मुश्किल भरा होगा.

दिल्ली चुनाव में करारी हार के बाद सुभाष चोपड़ा ने दिल्ली कांग्रेस प्रदेश और पीसी चाको ने प्रभारी पद से इस्तीफा दिया था. इसके बाद पहले शक्ति सिंह गोहिल दिल्ली के प्रभारी बने और अब अनिल चौधरी को अध्यक्ष बनाया गया है. नई टीम की पहली बड़ी परीक्षा 2022 में होने वाले नगर निगम चुनाव में होगी.

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