Sri Lanka Economy Crisis: श्रीलंका बढ़ती मुद्रास्फीति और बिगड़ती जीवन स्थितियों के बीच 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश में सार्वजनिक विरोध तेज हो रहा है और सरकार को इससे निपटने के लिए आपातकाल लागू करने का सहारा लेना पड़ा. इसके बाद श्रीलंका के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. हालांकि अब आपातकाल हटा लिया गया है. भोजन की कमी के साथ-साथ 13 घंटे की रोजाना बिजली कटौती के साथ नागरिक भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं. संकट इतना गंभीर है कि सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के गवर्नर अजित निवार्ड कैबराल ने भी पद छोड़ने की पेशकश की थी. जानिए. श्रीलंका में आर्थिक संकट के लिए कौन जिम्मेदार? अब क्या है ताजा हालात और दाने-दाने को कैसे मोहताज हुई जनता?


आर्थिक संकट के लिए कौन जिम्मेदार?


श्रीलंका अव्यवहार्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए चीन से उधार लेने और ऋण वापस करने में असमर्थ होने के जाल में फंस गया, जिसके परिणामस्वरूप श्रीलंका ने या तो परियोजनाओं का नियंत्रण छोड़ दिया गया है या चीन को चुकाने के लिए ऋण ले लिया. इसके अलावा चीनी ऋण का उपयोग न केवल हंबनटोटा बंदरगाह और कोलंबो पोर्ट सिटी जैसी बड़े पैमाने की परियोजनाओं के लिए, बल्कि सड़कों और जल उपचार संयंत्रों के लिए भी किया गया था. श्रीलंका में आर्थिक संकट और तेज हो गया, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी ने अपने मुख्य क्षेत्र यानी पर्यटन को धीमा कर दिया, जिसने बदले में इसके विदेशी मुद्रा संकट को बढ़ा दिया.



श्रीलंका के पास अभी कितने रुपए


श्रीलंका की आर्थिक बदहाली की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट है. श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में 70 फीसदी की गिरावट आई है. फिलहाल श्रीलंका के पास 2.31 अरब डॉलर बचे हैं. विदेशी मुद्रा के रूप में सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही श्रीलंका के पास हैं. श्रीलंका कच्चे तेल और अन्य चीजों के आयात पर एक साल में खर्च 91 हजार करोड़ रुपये खर्च करता है. खर्च 91 हजार करोड़ रुपये का है, लेकिन श्रीलंका के पास सिर्फ 17.5 हजार करोड़ रुपये ही है. 


आय का बड़ा हिस्सा टूरिज्म, लेकिन ये भी ठप


ईंधन आयात के लिए ज़रूरी विदेशी मुद्रा में भारी कमी आर्थिक संकट की सबसे बड़ी वजह है. देश बिजली कटौती, खाने पीने के सामान, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहा है. आवश्यक वस्तुओं की किल्लत की वजह से कीमतें आसमान छू रही हैं. कोरोना और ईस्टर बम धमाके के कारण टूरिज्म ठप और आय का बड़ा हिस्सा टूरिज्म से आता था.


 




श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर के कर्ज का बोझ


चीन का श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है.  भारत और जापान जैसे देशों के अलावा आईएमएफ (IMF) एशियन डवलैपमेंट बैंक जैसे संस्थानों का भी लोन उधार है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है.


श्रीलंका के कुल कर्ज का प्रतिशत



  • 47% बाजार से लिया गया कर्ज

  • 2% भारत का कर्ज

  • 13% एशियन डवलैपमैंट बैंक

  • 10% चीन का कर्ज

  • 10% जापान का कर्ज

  • 9.9% वर्ल्ड बैंक का कर्ज


भारत कर रहा उबारने में मदद


भारत और बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान जैसे विश्वसनीय विकास भागीदार, द्वीपीय देश को मौजूदा आर्थिक संकट से उबारने में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं.  इस निरंतर संकट का सामना करते हुए भारत ने मानवीय आधार पर कोलंबो को दो आपातकालीन ऋण सहायता की पेशकश की है, जिसमें आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए 1 अरब डॉलर शामिल हैं. अन्य 50 करोड़ क्रेडिट लाइन के तहत, भारत ने हाल ही में कोलंबो को 40,000 मीट्रिक टन डीजल सौंपा. पिछले 50 दिनों में भारत ने श्रीलंका को दो लाख मीट्रिक टन डीजल भेजा है. जनवरी 2022 से भारत अनुभव की जाने वाली कठिनाइयों को देखते हुए श्रीलंका की सहायता कर रहा है. इसने 2.4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता दी थी, जिसमें 40 करोड़ का क्रेडिट स्वैप और 51.5 करोड़ डॉलर से ज्यादा के एशियन क्लियरिंग यूनियन भुगतान को स्थगित करना शामिल था.


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