इलाहाबाद: देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री में एक इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने आरुषि और हेमराज के दोहरे कत्ल के मामले में आरुषि के माता-पिता को बरी कर दिया है.


आरुषि के माता-पिता के माथे पर बेटी के कत्ल का दाग धुलने में करीब नौ साल लग गए. इन 9 सालों में ये मर्डर मिस्ट्री देश ही नहीं दुनिया भर में चर्चा का विषय रहा.यहां पढ़ें पूरी खबर


आज जब तलवार दंपत्ति को अपनी ही बेटी और नौकर के कत्ल के जुर्म से बरी किया गया तो ये सवाल भी खड़ा हो गया कि आखिर आरुषि और हेमराज को किसने मारा? आइए जानते हैं कि इस केस की पूरी कहानी.


आरुषि-हमेराज का कत्ल


इस मर्डर मिस्ट्री की शुरुआत होती है 2008 में. दिल्ली से सटे नोएडा के पोश इलाके जलवायु विहार में 16 मई 2008 को एक डॉक्टर दंपत्ति के घर में उनकी 14 साल बेटी का शव मिलता है. इस हत्या को 15-16 मई की रात को अंजाम दिया गया. आरुषि का कत्ल धारदार हथियार से किया गया था. शक की सुई नौकर पर गई, लेकिन दूसरे दिन घर के छत पर नौकर हेमराज की लाश मिली. हेमराज का भी कत्ल किया गया था.


इस कत्ल के बाद हंगामा मच गया. मीडिया ने बड़े जोर शोर से इस केस को उठाया. पुलिस जांच में जुटी और उसने एक हफ्ते के भीतर ही इस केस में आरुषि के पिता को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने पिता राजेश तलवाल को मुख्य आरोपी बनाया.


नोएडा से केस सीबीआई को मिला


नोएडा पुलिस की जांच पर सवाल उठे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने भारी दबाव के बीच 15 दिन के 29 मई को सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी.


सीबीआई ने जांच शुरू की. सीबीआई ने राजेश और नुपुर तलवार को लेकर पूछताछ की. लेकिन सीबीआई राजेश तलवार के खिलाफ कोई सबूत नहीं पेश कर सकी और इस तरह जुलाई महीने में राजेश तलवार को जेल से रिहा कर दिया गया.


इस मर्डर मिस्ट्री पर तब और हंगामा मचा जब सीबीआई ने 9 फरवरी 2009 आरुषि के माता-पिता पर हत्या का केस दर्ज किया. लेकिन ढाई साल की जांच के बाद दिसंबर 2010 में सीबीआई ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.


29 दिसंबर को सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट जमा की


29 दिसंबर को सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट जमा की, जिसमें घरेलू सहायकों को क्लीन चीट दी गई, लेकिन माता-पिता की तरफ ऊंगली उठाई. उसके बाद 9 फरवरी, 2011 को अदालत ने सीबीआई रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कहा कि वह आरुषि के माता-पिता पर लगाए गए हत्या और सबूत मिटाने के अभियोजन के आरोप को लेकर मामला जारी रखें.


2013 में राजेश और नुपूर को मिली आजीवन कारावास की सजा


नवंबर, 2013 में राजेश और नुपूर तलवार को दोहरी हत्या का दोषी करार देते हुए सीबीआई की एक विशेष अदालत ने गाजियाबाद में उन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सात सितंबर, 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ ने माता-पिता की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा और 12 अक्तूबर को फैसले की तारीख दी.


आज 12 अक्तूबर, 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आरुषि के माता-पिता को बरी किया.