भारत में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री कड़ी सुरक्षा के घेरे में होते हैं. मुख्यमंत्रियों के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्रियों को राज्य की ओर से सुरक्षा मुहैया कराई जाती है. वहीं, कई राजनेताओं को सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र की ओर से विशेष जेड, जेड प्लस और एनएसजी की सुरक्षा भी मुहैया कराई जाती है. ऐसे में जो भी व्यक्ति एनएसजी सुरक्षा के घेरे में होता है. उन्हें एनएसजी के प्रोटोकॉल के तहत चलना होता है. जब वो प्रोटेक्टिव पर्सन (पीपी) बाहर जाएंगे तो वे अपने गाड़ी चेंज नहीं कर सकते हैं, उन्हें प्रोटोकॉल के हिसाब से उसी गाड़ी में बैठना पड़ेगा.

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इसे लेकर पूर्व सैनिक लक्की बिष्ट ने कहा कि जिसके पास नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) कवर है, जब भी वो पीपी (प्रोटेक्टिव पर्सन) अपने रेजिस्टेंस से बाहर निकलते हैं उनके साथ कंटिन्यू मोबाइल सिक्योरिटी चलेगी. क्योंकि दोबारा उनको उनके घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी एनएसजी की है. उनके साथ बाकी सिक्योरिटी भी चलेगी, चाहे फिर वो क्लोज प्रोटेक्शन टीम है या पैरामिलिट्री फोर्सेस हो या अन्य जो भी राज्य की तरफ से दी गई हो, लेकिन इनर रिंग हमेशा एनएसजी का रहेगा.

पूर्व सैनिक ने दिया अखिलेश यादव का उदाहरण

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उन्होंने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर अखिलेश यादव कहीं जा रहे हैं, तो वे प्रोटोकॉल के तहत चाहकर भी अपनी पत्नी डिंपल यादव को अपने साथ नहीं बैठा सकते हैं, चाहे कार में पीछे की सीट खाली ही क्यों न हो, वो उन्हें अपने साथ नहीं बैठा सकते हैं और अगर वे ऐसा करते हैं तो वे सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रहे हैं.

जब लक्की से सवाल किया गया कि इतने सख्त नियम क्यों, तो इस पर उन्होंने कहा कि मान लीजिए अगर कल उन्हें उनकी पत्नी से ही खतरा हो जाए तो ऐसे में इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? लक्की बिष्ट ने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उन्हें एसएनजी कवर की सिक्योरिटी मिली थी. उस वक्त भी वो अखिलेश यादव को अपने साथ कार में नहीं बैठा सकते थे.

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