IAF प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने अंतर्राष्ट्रीय एयरोस्पेस सुरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि IAF ने अपने कामकाज में एक उड़ान सुरक्षा-केंद्रित दृष्टिकोण (Safety-Centric Approach) को अपनाया है और हमारी संगठन संस्कृति इसके मूल्यों में है और इस फ्लाइट सेफ्टी कलचर को बढ़ावा देती है.  


उन्होंने कहा कि हमने आने वाली पीढ़ी के विमान और उपकरणों को हाई टेकनोलॉजी के साथ मिला दिया है. हालांकि हम पुराने उपकरणों को भी संचालित कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि आज के जमाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि एक अच्छा सुरक्षा रिकार्ड बनाए रखते हुए पुरानी और नई टेक्नोलॉजी को मूल रूप से सम्मिश्रित करने पर ध्यान दें. 


 






टेक्नोलॉजी ने नई चुनौतियों को जन्म दिया


वायु सेना चीफ ने कहा कि मॉडर्न एविएशन में टेक्नोलॉजी के तेजी से प्रसार ने नई चुनौतियों को जन्म दिया है. सबसे बड़ी चुनौती मानव मस्तिष्क को इन नई तकनीकों के लिए तेजी से और व्यापक रूप से अनुकूलित करने के लिए तैयार करना है, ताकी हम इस टेक्नोलॉजी को आराम से समझ सकें औऱ ऑपरेट भी कर सकें. 


 






टेक्नोलॉजी एक दोधारी हथियार


उन्होंने कहा कि 'ऑटोमेटिक उड़ानों की शुरूआत ने हमें ये भी सिखाया है कि टेक्नोलॉजी एक दोधारी हथियार हो सकती है. यह इंसान के कामों को कम करने में मदद करती है तो वहीं यह अधिक त्रुटियों को उत्पन्न करने में संभावित रूप से सक्षम हो सकता है. बोइंग 737 मैक्स की हालिया दुर्घटनाओं ने इस बात को काफी हद तक साबित कर दिया है.'


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