ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार (02 अक्टूबर, 2025) को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उनके बलिदान को याद करते हुए देश में व्याप्त उस मानसिकता पर गहरी चिंता जताई, जिसने गांधी की हत्या को जन्म दिया था. 

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एक सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि गांधी के हत्यारों की विचारधारा आज भी भारत में जीवित है और इसे खत्म करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, 'गांधी को मारने वालों ने उनके सीने में गोलियां इसलिए मारी थीं, क्योंकि उन्होंने मुसलमानों की बात की और उनकी तरफदारी की.'

'गोडसे की विचारधारा का समर्थन गलत'

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AIMIM प्रमुख ने कहा, 'हत्या से पहले गांधी दिल्ली की हजरत कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह गए थे, जिसे दंगाइयों ने नुकसान पहुंचाया था.' ओवैसी ने जोर देकर कहा कि गांधी के हत्यारों को भले ही फांसी दे दी गई, लेकिन उनकी 'गंदी सोच' आज भी देश में मौजूद है.

ओवैसी ने नाथूराम गोडसे और उनके साथियों को आजाद भारत का 'पहला आतंकवादी' करार देते हुए कहा कि यह दुखद है कि कुछ लोग आज भी गोडसे की विचारधारा का समर्थन करते हैं. आज गांधी की समाधि पर फूल चढ़ाए जाते हैं, लेकिन कुछ लोग दिल और जुबान पर गांधी का नाम लेते हुए गोडसे के प्रति मोहब्बत रखते हैं. गांधी से सच्ची मोहब्बत का मतलब है गोडसे और उनकी आतंकवादी सोच को दिल से निकाल देना.'

ओवैसी की देशवासियों से अपील

उन्होंने यह भी चिंता जताई कि खुले तौर पर गांधी के हत्यारों को सम्मानित किया जा रहा है और उनके नाम पर नारे लगाए जा रहे हैं. ओवैसी ने देशवासियों से अपील की है कि गांधी के बलिदान को याद रखें और ऐसी विचारधारा के खिलाफ एकजुट हों, जो नफरत और हिंसा को बढ़ावा देती है.

उन्होंने कहा, 'हमें गांधी की उस कुर्बानी को याद रखना है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी. उनकी सोच को जीवित रखने के लिए हमें एकता, भाईचारे और समावेशिता के मूल्यों को अपनाना होगा.'

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