अहमदाबाद के एअर इंडिया विमान हादसे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में साफ किया कि हादसे के लिए पायलटों को दोषी नहीं ठहराया गया है. सरकार ने कहा कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) जांच किसी पर दोष मढ़ने के लिए नहीं है. गुरुवार (13 नवंबर, 2025) को दिवंगत पायलट सुमित सबरवाल के पिता पुष्करराज सबरवाल और एक गैर सरकारी संस्था सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में यह दलील दी. याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि एएआईबी की तरफ से की जा रही जांच सही नहीं है. इसमें तकनीकी खामियों की अनदेखी कर पूरी जिम्मेदारी पायलटों पर डालने की कोशिश की गई है, लेकिन हादसे में जान गंवा चुके पायलट अब अपने बचाव में कुछ कहने की स्थिति में भी नहीं हैं.

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सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच को बताया कि विमान दुर्घटना की जांच के लिए एएआईबी की जांच टीम का गठन अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के तहत किया गया था और इसके लिए वैधानिक प्रावधान है.

जस्टिस बागची ने कहा, 'एएआईबी जांच किसी पर दोष मढ़ने के लिए नहीं है. यह सिर्फ हादसे का कारण स्पष्ट करने के लिए है ताकि ऐसा दोबारा न हो.' एनजीओ की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि इतने बड़े पैमाने की दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की तरह समानांतर जांच की जानी चाहिए.

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उन्होंने कहा कि पायलट फेडरेशन ने कहा है कि इन विमानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता और इनमें यात्रा करने वालों के लिए खतरा है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह कार्यवाही एक एअरलाइन बनाम दूसरी एअरलाइन के बीच लड़ाई नहीं बननी चाहिए. उन्होंने एसजी मेहता से याचिकाकर्ता पुष्करराज सबरवाल की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है. अब दो हफ्ते बाद इस मामले पर सुनवाई होगी.

12 जून को एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर एआई 171 वाला बोइंग 787-8 विमान लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए अहमदाबाद से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद एक मेडिकल हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिससे इसमें सवार 241 यात्रियों समेत कुल 265 लोगों की मौत हो गई थी.

विमान में सवार मरने वाले लोगों में से 169 भारतीय, 52 ब्रिटिश, सात पुर्तगाली और एक कनाडाई नागरिक और चालक दल के 12 सदस्य शामिल थे. दुर्घटना में जीवित बचे एकमात्र व्यक्ति ब्रिटिश नागरिक विश्वाशकुमार रमेश थे.