किसानों और उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर अब मोदी सरकार को अपनों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. आरएसएस से जुड़े किसान संगठन भारतीय मजदूर संघ ने बुधवार को किसानों को फ़सलों का लाभकारी मूल्य के मुद्दे पर देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान किया है. मुख्य प्रदर्शन दिल्ली के जंतर मंतर पर आयोजित किया जाएगा.


भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्री नारायण चौधरी के मुताबिक़ 8 सितम्बर को देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान 500 ज़िलों में सांकेतिक धरना देने के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा. किसान संघ की मुख्य मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी पर फ़सलों की ख़रीद के लिए क़ानून बनाना है. चौधरी का कहना है कि किसानों को उनकी फ़सल का उचित और सही मूल्य नहीं मिल पाता है.


किसानों को मिलने वाली एमएसपी केवल धोखा और छलावा है-भारतीय किसान संघ का आरोप


भारतीय किसान संघ का आरोप है कि जो एमएसपी फ़िलहाल किसानों को दी जाती है वो केवल धोखा और छलावा है क्योंकि सरकार जिस एमएसपी की घोषणा करती है उसका भुगतान छह महीने बाद किया जाता है. संघ का ये भी कहना है कि सरकार कुल फ़सल का महज 25 फ़ीसदी अनाज ही किसानों से खरीदती है. बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि सरकार मुख्य तौर पर दो राज्यों में ही एमएसपी पर किसानों से फ़सल खरीदती है जबकि बाक़ी राज्यों के किसान केवल रजिस्ट्रेशन करवा कर ही रह जाते हैं. 


कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट सार्वजनिक करने को कहा


उधर कृषि क़ानूनों की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय कमिटी के सदस्य और महाराष्ट्र के शेतकरी संघटन के अध्यक्ष अनिल घनवट ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है. घनवट ने अपने पत्र में तीन सदस्यीय कमिटी द्वारा कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट सार्वजनिक करने और सरकार को भेजने का आग्रह किया है ताकि उस पर आगे कार्रवाई की जा सके.


तीनों कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस कमिटी का गठन किया था और दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करने को कहा था. कमिटी ने कोर्ट को अपनी रिपोर्ट तय समयसीमा के भीतर 19 मार्च को सौंप दी थी.


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