Army Recruitment Secheme: सुप्रीम कोर्ट ने अग्निवीर मामला दिल्ली हाई कोर्ट को भेज दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस समय 5 हाई कोर्ट- दिल्ली, केरल, पटना, पंजाब-हरियाणा और उत्तराखंड में इस योजना को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं. इतनी जगह सुनवाई सही नहीं होगी. इसलिए, पहले दिल्ली हाई कोर्ट यह मामला सुन ले. उसके बाद यह सुप्रीम कोर्ट आ सकता है.


3 याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं


जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और ए एस बोपन्ना की बेंच में आज अग्निपथ योजना के खिलाफ 3 याचिकाएं लगी थीं. यह याचिकाएं हर्ष अजय सिंह, मनोहर लाल शर्मा और रविंद्र सिंह शेखावत नाम के याचिकाकर्ताओं की थीं. इन याचिकाकर्ताओं ने योजना पर रोक लगाने, उसकी दोबारा समीक्षा और उसे रद्द करने जैसी कई मांगें की थीं.


केंद्र का सुझाव


सुनवाई की शुरुआत में ही केंद्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कुल 5 हाई कोर्ट में इसी तरह की याचिकाएं लंबित हैं. मेहता ने आगे कहा, "ऐसे में 2 तरीके हो सकते हैं. या तो केंद्र सरकार सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का आवेदन दाखिल करे, या सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट को कहा जाए कि वह अपने पास लंबित केस जल्दी सुन ले. इससे फायदा यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट जब इस मामले को सुनेगा, तो उसके सामने एक हाई कोर्ट का फैसला होगा."


याचिकाकर्ता ने किया विरोध


तीनों जज इस दलील से आश्वस्त नज़र आए. हालांकि, याचिकाकर्ता हर्ष अजय सिंह की वकील कुमुदलता दास ने इसका विरोध किया. उन्होंने सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि वायु सेना में भर्ती के लिए पहले से प्रक्रिया चल रही थी. उसे जारी रखा जाना चाहिए. इस पर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले वकीलों में से एक प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्होंने भी हाई कोर्ट में इसी तरह की मांग की है.


कोर्ट का आदेश


आखिरकार, बेंच के अध्यक्ष जस्टिस चंद्रचूड़ ने आदेश लिखवाते हुए कहा, "एक तरीका यह हो सकता है कि हम सब कुछ सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर लें. लेकिन हमें लगता है कि किसी हाई कोर्ट का फैसला पहले आना बेहतर होगा. हमारे पास लगी तीनों याचिकाओं को दिल्ली हाई कोर्ट भेजा जाए. बाकी हाई कोर्ट के याचिकाकर्ता चाहें तो अपना मामला वहां लंबित रहने दें, या दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे मामले में दखल के लिए वहां आवेदन दें."


'आप वीर होंगे, लेकिन अग्निवीर नहीं'


सुनवाई के दौरान एक अन्य याचिकाकर्ता मनोहर लाल शर्मा बार-बार यह कहते रहे कि उनका मामला अलग है. उसे अलग से सुना जाना चाहिए. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने हल्के अंदाज़ में कहा, "हमें नहीं लगता कि आप भविष्य में अग्निवीर बनने जा रहे हैं. आप वीर होंगे, लेकिन अग्निवीर नहीं. थोड़ा धैर्य रखिए." सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी साफ किया कि अगर उसके पास मामले में और कोई याचिका आएगी, तो उसे भी दिल्ली हाई कोर्ट भेजा जाएगा.


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