बाघों में कोरोना वायरस फैलने की खबर के साथ, विशेषकर चेन्नई के चिड़ियाघर में शेरनी की मौत के बाद, मध्य प्रदेश का वन महकमा कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहा. उसने बाघ की संदिग्ध मौतों के बीच पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी में बाघों के ब्लड और ऑरोफरीन्जियल स्वैब के नमूने लेने का फैसला किया है. नमूनों को कोरोना की जांच के लिए भेजा जाएगा.


कोरोना की जांच के लिए बाघ के लिए जाएंगे सैंपल


अधिकारियों के मुताबिक, बाघ की मौतों का सटीक पता लगा पाने में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के नाकाम रहने के बाद फैसला लिया गया. पिछले दो महीनों में दो बाघों के सैंपल लिए गए हैं और पेंच टाइगर रिजर्व में उसकी प्रक्रिया जारी है. सौभाग्य से दोनों बाघों के स्वैब सैंपल निगेटिव आए. पेंच टाइगर रिजर्व में 5 और 8 वर्षीय तीन बाघों की मौत जनवरी से दर्ज की जा चुकी है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, रिजर्व में 53 बाघ हैं.


वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये पहली बार है जब बाघ के सैंपल की जांच कोविड-19 के लिए की जाएगी. इससे पहले वन विहार और दूसरा पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ का कोरोना जांच किया गया था. लेकिन पेंच टाइगर रिजर्व में बड़े पैमाने पर पहली बार प्रयास किया जा रहा है.


संदिग्ध मौतों के बाद हकरत में मध्य प्रदेश सरकार


प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) आलोक कुमार ने कहा कि पेंच टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए स्वैब टेस्ट का प्रस्ताव विचाराधीन है और अंतिम फैसला टेक्नीकिल कमेटी की मीटिंग के बाद लिया जाएगा. लेकिन जमीनी हकीकत बताते हैं कि पेंच और सिवनी में प्रयास पहले ही शुरू हो चुका है. उन्होंने आगे बताया कि एक सामान्य प्रोटोकॉल है कि किसी भी बाघ में संक्रमण के लक्षण दिखने पर जांच कराना है. लक्षणों में छींक आना, नाक का बहना, सुस्ती इत्यादि शामिल है.


कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान 10 वर्षीय बाघ की संदिग्ध हालत में मौत पर बवाल मच गया था और वन्यजीव कार्यकर्ताओं ने उसके पीछे कोरोना वायरस को जिम्मेदार ठहराया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर पेंच में बाघ की मौत मामले की जांच की मांग गई. देश की सर्वोच्च अदालत ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को मौत के कारण का पता लगाने का आदेश दिया. दूसरी तरफ, राज्य सरकार ने लैब की एक रिपोर्ट पेश कर अदालत को बताया कि बाघ की मौत के पीछे कोरोना वायरस कारण नहीं था.


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