Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के बाद काबुल हवाई अड्डे पर नागरिक विमानों की आवाजाही आज तीसरे दिन भी बंद रही. जाहिर है इसने उन भारतीय नागरिकों के वापसी को लेकर फिक्र बढ़ा दी गई जो अब तक वहां फंसे हुए हैं. हालांकि अगले 72 घंटे में काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिकी निगरानी में उड़ानें बहाल होने की उम्मीद है. वहीं हालात और जरूरत के मद्देनजर भारत की तरफ से विशेष विमान भेजे जाने की संभावना बरकरार है.


सूत्रों के मुताबिक अनुमान है कि अफगानिस्तान में अब भी बहुत से भारतीय पासपोर्ट धारक फंसे हुए हैं. इनमें से कई भारतीय काबुल तो अनेक लोग जलालाबाद और हेरात जैसे इलाकों में मौजूद हैं. अफगानिस्तान में वीजा सहायता चाहने वाले लोगों की मदद के लिए विदेश मंत्रालय का बनाया विशेष सहायता सेल काम करने लगा है. साथ ही इसमें लोगों की सहायता आवेदनों का आंकड़ा हर घंटे बढ़ रहा है. खबर लिखे जाने तक 250 से अधिक भारतीयों के आवेदन दर्ज हो चुके थे.


एयरपोर्ट पर फंसे कई लोग


इसके अलावा अफगानिस्तान के विभिन्न दूतावासों समेत अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले भारतीय गोरखा पूर्व सैनिकों की भी बड़ी संख्या है. इनमें से कई लोग एयरपोर्ट पर भी फंसे हुए हैं. इन लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए सैन्य विशेष उड़ान के साथ-साथ विदेशी विमानन कंपनियों की चार्टेड सेवा समेत सभी विकल्प मौजूद है. हालांकि हेल्पलाइन पर भारतीयों के लिए दर्ज हो रहे दरख्वास्तों में एक बड़ी मुश्किल तथ्यों और पहचान दस्तावेजों की पड़ताल भी है.


साथ ही मौजूदा हालात में लोगों का जलालाबाद और हेरात जैसे इलाकों से काबुल तक पहुंचना भी एक चुनौती. इस काम में जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए भारत स्थानीय अफगान मित्रों और हितैषियों की भी मदद ले रहा है. सूत्रों के मुताबिक संकेत है कि अगले 72 घंटे में काबुल एयरपोर्ट पर सिविल विमानन ऑपरेशन बहाल हो सकते हैं. इसके लिए भारतीय अधिकारी अमेरिका के संपर्क में हैं. जिसके पास फिलहाल काबुल एयरपोर्ट का नियंत्रण है.


इसके अलावा सैन्य विमानों के लिए जारी आवाजाही के बीच एक बार फिर वायुसेना के C17 विमान को भी भेजा जा सकता है. संभव है कि नागरिक उड़ानों की बहाली से पहले भारत अपने नागरिकों और वीजा धारकों को सुरक्षित निकालने के लिए विशेष विमान भेजे. महत्वपूर्ण है कि बीते 24 घंटे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा संबंधी समिति की दो बैठकों में इस बात को प्राथमिकता दी गई कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द वापस लाया जाए. वहीं अफगान हिंदू और सिख समुदाय समेत मदद चाह रहे अन्य लोगों को भी सुरक्षित निकलने मेंं मदद की जाए.



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