Vijay On Hindi Language Row: तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर राजनीतिक पार्टियों में टकराव देखने को मिल रहा है. डीएमके और बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच चल रहे इस विवाद में फिल्म एक्टर और नेता विजय की एंट्री हो गई है. उन्होंने दोनों सत्ताधारी पार्टियों की आलोचना की और इसे केजी के बच्चों के बीच चल रही लड़ाई करार दिया. वहीं डीएमके ने अभिनेता विजय पर पलटवार करते हुए भ्रम पैदा करने और बीजेपी से डरने का आरोप लगाया.

2026 में होने वाले चुनाव से पहले विजय की पार्टी टीवीके भी एक्टिव हो गई है. उन्होंने कहा, ‘एक (पार्टी) गाती है जबकि दूसरी नाचती है, दोनों एक सुर में. यह स्थिति बनाए रखने में उनकी मिलीभगत है. इससे आम लोगों की चिंताएं अनसुनी और अनसुलझी रह जाती हैं.‘ इसके साथ ही विजय ने तीन भाषा वाली नीति को लेकर भी अपना विरोध दर्ज कराया.

‘केजी के बच्चों की तरह लड़ रहे’

चेन्नई के पास पार्टी के एक कार्यक्रम में बोलते हुए विजय ने उन रिपोर्टों को लेकर भी केंद्र पर निशाना साधा, जिनमें कहा गया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने धमकी दी है कि अगर तमिलनाडु सरकार तीन भाषाओं को बढ़ावा देने सहित एनईपी को पूरी तरह से स्वीकार नहीं करती है, तो वह 2,400 करोड़ रुपये का फंड रोक देंगे.

‘डीएमके-बीजेपी मे साठगांठ’

इसको लेकर एक्टर विजय ने कहा, केंद्र की ओर से तमिलनाडु को धनराशि देने से इनकार करना किंडरगार्टन (केजी) के छात्रों के बीच लड़ाई जैसा है. देना केंद्र की जिम्मेदारी है." उन्होंने 1967 और 1977 के तमिलनाडु चुनावों का हवाला देते हुए कहा, "तमिलनाडु आत्मसम्मान के लिए जाना जाता है और आप संघीय व्यवस्था में राज्य की नीति के विरुद्ध भाषा कैसे थोप सकते हैं?" इसके अलावा उन्होंने डीएमके-बीजेपी की साठगांठ उजागर करने की भी बात की.

1967 के चुनाव में तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देने की कोशिश कर रही थी और उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का बोलबाला था. तब भी डीएमके ने 'हिंदी थोपने' का विरोध किया था और उन विरोध प्रदर्शनों के कारण दंगे हुए थे, जिसके कारण कांग्रेस की हार हुई थी.

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