मुंबई: अभिनेत्री कंगना रनौत के दफ्तर पर 24 घंटे के अंदर हुई कार्रवाई को महाराष्ट्र के हुक्मरान जायज मानते हैं. अब सवाल यह उठता है कि बीएमसी ने तमाम फिल्मी सितारों को सालों पहले उनके घरों-दफ्तरों में अवैध निर्माण को लेकर नोटिस दिए थे लेकिन कार्रवाई आज तक क्यों नहीं हुई?

बीएमसी की तरफ से कंगना रनौत के दफ्तर पर हथौड़ा बरसाने के बाद अब बीएमसी की पोल खुल रही है. तमाम ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिनमें सालों पहले बीएमसी ने मुंबई के कई फिल्मी सितारों को उनकी प्रॉपर्टी पर हुए अवैध निर्माण को लेकर नोटिस दिया था, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई. जानकारों की माने तो बीएमसी  के अधिकारियों ने पैसे लेकर भ्रष्टाचार किया और अवैध को वैध बना दिया.

मुंबई के जाने-माने आरटीआई एक्टिविस्ट शकील अहमद की मानें तो बीएमसी ने  कई बड़े सितारों को अवैध निर्माण के मामले में सहूलियत दी है. बीएमसी के रजिस्टर में दर्ज बॉलीवुड के कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने घरों में अवैध निर्माण किया था. बीएमसी ने इन्हें नोटिस भी जारी किया, लेकिन कार्रवाई कभी नहीं की गई.

ऐसा ही एक मामला है फिल्म अभिनेता जॉन अब्राहम का है, जिनकी एक प्रॉपर्टी मुंबई के प्रभादेवी इलाके की आर्बिट प्लाजा नामक बिल्डिंग में है. मुंबई के बीएमसी रजिस्टर में दर्ज एक ऐसा होटल भी है, जिसके मालिक आदित्य ठाकरे के बड़े खास माने जाते हैं. इस होटल का उद्घाटन सलमान खान ने किया था और सलमान खान के नाम पर इस होटल का नाम  ‘भाई जान’ रखा गया.  बांद्रा इलाके में मौजूद इस होटल को भी अक्टूबर 2017 में अवैध निर्माण के लिए बीएमसी ने नोटिस दिया था. करीब 3 साल बीत चुके हैं बीएमसी ने होटल में जो भी कमियां निकाली थीं, वे आज भी मौजूद हैं लेकिन बीएमसी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की.

कुछ ऐसा ही मामला कॉमेडियन कपिल शर्मा का भी है. कपिल शर्मा शर्मा ने भी कुछ साल पहले बीएमसी पर घूस लेने का आरोप लगाया था और उसके बाद कपिल शर्मा के दफ्तर पर बीएमसी ने कार्रवाई की थी. लेकिन कपिल शर्मा की गोरेगांव में स्थित बीएचएल एनक्लेव की एक प्रॉपर्टी को बीएमसी ने अप्रैल 2016 में अवैध निर्माण को लेकर नोटिस दिया था. मामला कोर्ट तक पहुंचा लेकिन कार्रवाई अभी भी बाकी है.

सवाल यही है कि मुंबई महानगर पालिका ने बॉलीवुड के तमाम कलाकारों को अवैध निर्माण के चलते सालों पहले नोटिस दिए लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई फिर कंगना रनौत के मामले में ऐसा क्या हुआ कि बीएमसी को 24 घंटे के अंदर नोटिस देकर हथोड़ा चलाना पड़ा . क्या इस पर बीएमसी की सत्ता पर बैठी शिवसेना का दबाव था या फिर खुद महाराष्ट्र सरकार का.

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