Acid Attacks in India: अक्सर देखा गया है कि जिन चीजों की बिक्री या इस्तेमाल पर सख्त पाबंदी लगाई जाती है, उन्हें कोई भी आसानी से खरीद सकता है और अपराध को अंजाम देने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. राजधानी दिल्ली में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें एक सिरफिरे युवक ने स्कूली छात्रा के चेहरे को तेजाब से जला दिया. इस एसिड अटैक में लड़की बुरी तरह झुलस गई और अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. इस नए मामले के बाद एक बार फिर एसिड की खरीद और इसकी बिक्री को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि जब तेजाब को लेकर सख्त नियम बनाए गए हैं तो कोई भी इसे इतनी आसानी से कैसे खरीद सकता है? इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब देंगे और बताएंगे कि आखिर तेजाब की बिक्री और खरीद को लेकर क्या नियम और कानून हैं.


दिल्ली में सामने आए इस मामले में हैरानी वाली बात ये है कि चंद बूंदों से किसी की जिंदगी तबाह कर देने वाले तेजाब को ऑनलाइन खरीदा गया था. पुलिस के मुताबिक आरोपी युवक ने ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट फ्लिपकार्ट से तेजाब ऑर्डर किया था, जिसके बाद उसने अपनी गर्लफ्रेंड पर अटैक किया. ये मामला दिल्ली के द्वारका मोड़ इलाके का है, जहां पैदल चल रही स्कूली छात्रा के चेहरे पर उसके कथित ब्वॉयफ्रेंड ने तेजाब डाल दिया. इसका सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. जिसके बाद दोनों आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं. आइए जानते हैं कि तेजाब को बेचने के क्या नियम हैं. 


तेजाब बेचने को लेकर क्या हैं नियम?
तेजाब बेचने को लेकर काफी सख्त नियम हैं और इनका उल्लंघन करने पर सख्त सजा का भी प्रावधान है. इसके बावजूद देखा गया है कि खुलेआम किराने की दुकानों और बाकी जगह इसकी बिक्री होती है और दुकानदार तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाकर लोगों की जान से खेलने का काम करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में दिए अपने फैसले में तेजाब बेचने को लेकर कई निर्देश दिए थे. जिनके मुताबिक... 



  • विक्रेता को तेजाब खरीदने वाले का नाम, पता और तेजाब की मात्रा का रिकॉर्ड रखना होगा. पूछे जाने पर ये जानकारी सौंपनी होगी.

  • भारत सरकार की तरफ से जारी आईडी प्रूफ की जांच के बगैर तेजाब नहीं बेचा जा सकता है. खरीदने वाले से इसकी कॉपी लेना जरूरी है.

  • अगर कोई दुकान पर तेजाब खरीदने आता है तो उससे ये भी पूछना जरूरी है कि वो किस मकसद से तेजाब खरीद रहा है.

  • तेजाब बेचने वाले को हर 15 दिन में स्थानीय एसडीएम को अपने स्टॉक की जानकारी देनी होगी. इसमें वो जानकारी भी शामिल होगी कि कहां कितना तेजाब दिया गया है.

  • 18 साल से कम उम्र के लोगों को किसी भी हाल में तेजाब नहीं दिया जा सकता है.

  • तेजाब बेचने वाले विक्रेता के पास इसका लाइसेंस होना जरूरी है. इसके अलावा उसे पॉइजन एक्ट के तहत रजिस्टर होना जरूरी है. हर साल लाइसेंस रिन्यू करवाना होगा. 


एसिड अटैक को लेकर कानूनी प्रावधान
अब एसिड बेचने के बाद अगर कोई एसिड का गलत इस्तेमाल करता है या फिर उससे किसी को नुकसान पहुंचाता है तो उसके लिए भी कड़ा कानून बनाया गया है. हालांकि कानून के बावजूद ऐसी घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं. इस अपराध को आईपीसी की धारा 326 के तहत दर्ज किया जाता है, बाद में इसे 326ए और 326 बी में बांटा गया. 326ए के मुताबिक एसिड अटैक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और गैरजमानती अपराध है. इसके तहत अधिकतम उम्रकैद और न्यूनतम 10 साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा 326बी में उनके खिलाफ मामला दर्ज होता है जो एसिड अटैक की कोशिश करते हैं. इस मामले में न्यूनतम पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. ऐसे मामलों में आरोपी और विक्रेता पर भारी जुर्माना (50 हजार तक) भी लगाया जा सकता है, जिसकी पूरी रकम पीड़िता को दी जाती है. 


एसिड खरीदना और बेचना कितना आसान?
अब बात करते हैं कि इन तमाम नियमों के बावजूद आखिर तेजाब इतनी आसानी से कैसे बिकता और खरीदा जाता है. आपने अक्सर किराने की दुकानों या फिर गलियों में साइकिल पर तेजाब की बोतलों को बिकता देखा होगा. ये लोग बिना किसी जानकारी के तेजाब को घरों-घरों तक पहुंचाने का काम करते हैं. तर्क ये दिया जाता है कि तेजाब उतना खतरनाक नहीं है. ठीक इसी तरह लोग इसे आसानी से खरीद लेते हैं, दुकानदार अगर पूछता भी है तो घर में टॉयलेट और बाथरूम साफ करने की बात कहकर इसे खरीद लेते हैं. 50 रुपये से लेकर 100 रुपये तक तेजाब की एक बोतल मिल जाती है. यही वजह है कि इसका फायदा सिरफिरे उठाते हैं और किसी का चेहरा हमेशा के लिए खराब कर देते हैं. 


क्या कहते हैं एसिड अटैक के आंकड़े?
हाल ही में जारी एनसीआरबी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2021 में कुल 174 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए, जिनमें सबसे ज्यादा 34 मामले पश्चिम बंगाल से सामने आए थे. दिल्ली में 2019 से लेकर 2021 तक कुल 20 एसिड अटैक के मामले सामने आए. हालांकि पिछले कुछ सालों में मामलों में गिरावट जरूर दर्ज की गई है. जहां 2014 से लेकर 2018 के बीच 1483 मामले दर्ज हुए, वहीं 2018 से 2022 के बीच करीब 386 एसिड अटैक के मामले सामने आए. हालांकि एसिड अटैक के मामलों में कन्विक्शन रेट यानी सजा की दर भी काफी ज्यादा कम है. यही वजह है कि अपराधी धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल करते हैं. 


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