नई दिल्ली: केंद्र सरकार ऑटिज्म, मानसिक बीमारी, बौद्धिक अक्षमता और तेजाब हमलों (एसिड अटैक) के पीड़ितों को केंद्रीय सरकार की नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी में दिव्यांग लोगों के लिए नौकरियों और प्रमोशन में रिजर्वेशन और आयु में छूट देने का प्रस्ताव रखा है.


हालांकि इस कदम से विवाद शुरू हो सकता है क्योंकि दिव्यांग लोगों को प्रमोशन में आरक्षण दिया जाए या नहीं ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. जिन खाली सीटों के लिए इस नियम को तय किया गया है उनमें कार्यालय सहायक से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों तक की पोस्ट हैं.


विभाग ने कहा है, ”सीधी भर्ती के मामले में हर कैटेगरी के पदों (ग्रुप ए, बी, सी, डी) में रिक्तियों की कुल संख्या का 4 फीसदी निर्धारित दिव्यांगता वाले लोगों के लिये रिजर्व होंगी.” निर्धारित दिव्यांगता को नेत्रहीनता, कम दिखाई देना, बहरापन, उंचा सुनाई देना, मस्तिष्क पक्षाघात समेत चलने-फिरने में अक्षमता, बौनापन, मसल डेफिशिएंसी और ठीक हो सकने वाले कुष्ठ रोग के तौर पर परिभाषित किया गया है.


इसके अलावा तेजाब हमले के पीड़ित, ऑटिज्म, बौद्धिक दिव्यांगता, सीखने की विशिष्ट अक्षमता, मानसिक बीमारी और बहरापन और नेत्रहीनता (संयुक्त रूप से देखने और सुनने का अभाव) वाले भी एक फीसदी आरक्षण के हकदार हो सकते हैं. ऐसा कार्मिक विभाग का प्रस्ताव स्वीकार होने के बाद हो सकता है.


विभाग की गाइडलाइंस के मुताबिक, प्रमोशन के मामलों में हर वर्ग (जैसे वर्ग डी और वर्ग सी) के पदों में कैडर क्षमता में कुल रिक्तियों का 4 फीसदी निर्धारित दिव्यांगता के लोगों के लिए रिजर्व रहेगा. ड्राफ्ट में कहा गया कि ऐसी दिव्यांगता वाले सिर्फ ऐसे लोग जिनमें दिव्यांगता 40 फीसदी से कम न हो, पदों और सेवाओं में आरक्षण के लिये योग्य माने जाएंगे.