देवघर के त्रिकुट में हुई रोप वे की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस घटना में हुई चूक पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं. आख़िरकार वो कौन-कौन से काम हैं जो राज्य सरकार को करने थे लेकिन किए नहीं. राज्य सरकार के पर्यटन विभाग के अंतरगत इस रोपवे को बनाने और चलाने का काम दिया गया है लेकिन इस तरफ की घटना का होना ये साबित करता है पर्यटन विभाग अपने इस काम में पूरी तरह विफल रही है. राज्य सरकार ने जिस कंपनी को ये कॉन्ट्रैक्ट दिया है उसने अपना काम ठीक से किया है कि नहीं इस पर खुद एक ऑडिट रिपोर्ट सवाल उठाती है. 


सूत्रों के अनुसार इस ऑडिट रिपोर्ट में 24 पॉइंट्स उठाए गए हैं जिनमें सुधार करना ज़रूरी है. ये रोप वे अपनी समय सीमा के आधार पर नहीं चल रहा था. रोप वे के चलाए जाने का समय दस बजे से चार बजे तक का है. जबकि इसे सुबह 8 बजे से शाम को छह बजे तक चलाया जाता था ऐसे में समय सारणी का उल्लंघन लगातार हो रहा था. 


एक केबल कार पर चार लोगों के बैठने की अनुमति 


राज्य सरकार ने 1 अप्रैल से टिकट के दाम को बढ़ा दिया था लेकिन इसके बदले सुविधाएं देने में सरकार विफल रही है.  1 अप्रैल से 159 रुपये की टिकट पर एक व्यक्ति को जाने की अनुमति थी. वहीं एक केबल कार (Cable Car) में एक समय पर सिर्फ़ चार व्यक्तियों को ही अनुमति है लेकिन कई बार संख्या भी बढ़ी है लोगों की और क्रिकेट के लिए भी अधिक पैसे लेने के आरोप लगे हैं. 


टिकट को मूल्य में वृद्धि की गई


राज्य के पर्यटन मंत्री का कहना है कि किसी भी नियमावली का उल्लंघन नहीं हुआ है यदि ऐसा ही है तो फिर जिन लोगों की जान गई उसकी ज़िम्मेदारी किसकी है. स्थानीय सांसद डाक्टर निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि जिस आधार पर इन टिकट को मूल्य में वृद्धि की गई या फिर सुविधाओं को ध्यान नहीं रखा गया या फिर मेंटेनेंस में कोताही बरती गई इन सब के आधार पर राज्य सरकार पर ही एफ़आइआर करनी चाहिए.


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