तमिलनाडु के स्कूल शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा कि स्कूलों में भाषा को बुद्धिमत्ता का पैमाना नहीं समझना चाहिए. छात्रों को वो भाषा चुनने की आज़ादी होनी चाहिए जिसमें वे पढ़ना चाहते हैं, और सरकार का ध्यान सिर्फ बेहतर शिक्षा देने पर होना चाहिए.

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भाषा पर कोई प्रतिबंध नहींएबीपी साउदर्न राइजिंग समिट 2025में मंत्री अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा, 'भाषा बुद्धि का माप नहीं है. हमारे छात्र जो चाहें पढ़ सकते हैं, हम उन पर कोई रोक नहीं लगाते. हर भाषा का अपना सम्मान है, हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं. लेकिन जब कोई भाषा थोपी जाती है, तो हम उसका विरोध करते हैं.'

राज्य की अपनी शिक्षा नीति क्यों?महेश ने बताया कि तमिलनाडु ने अपनी स्टेट एजुकेशन पॉलिसी इसलिए बनाई क्योंकि राज्य की शिक्षा से जुड़ी चुनौतियां अलग हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को पूरी तरह खारिज नहीं किया जाएगा बल्कि छात्रों के हित वाली बातों को अपनाया जाएगा.

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उन्होंने कहा, 'अगर NEP में कुछ अच्छा है तो हम उसे स्वीकार करेंगे, लेकिन कुछ बातें पीछे ले जाने वाली हैं, इसलिए हम हर पहलू को ध्यान से जांच रहे हैं. इसी लिए हमने राज्य में शिक्षा सुधार पर बड़ा कंसल्टेशन किया जिसमें ISRO चेयरमैन नारायणन और क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन जैसे लोग शामिल हुए.'

नई तकनीक और कमजोर छात्रों पर विशेष ध्यानमंत्री ने बताया कि राज्य में ‘ तमिलनाडु स्कूल प्रोग्राम फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स एंड नॉलेज ऑफ ऑनलाइन’ नाम का कार्यक्रम पहले से चल रहा है. इसमें एआई, रोबोटिक्स और डिजिटल स्किल्स सिखाने पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही कमजोर छात्रों की सीखने की क्षमता बढ़ाने पर भी काम हो रहा है. अंबिल महेश पोय्यामोझी ने कहा, 'हम छात्रों को आगे बढ़ाना चाहते हैं. कृपया उनके पैरों में जंजीरें न डालें. हम यह सोचते हुए काम कर रहे हैं कि अगले दस साल में हमारे बच्चे कहां खड़े होंगे.'