नई दिल्ली: नोटबंदी की सालगिरह पर आज सरकार जहां इसे एंटी ब्लैक मनी डे के रुप में मना रही है तो वहीं विपक्ष इसे काला दिवस के तौर पर मना रहा है. आज से ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का फैसला किया था. नोटों को जमा कराने और उनकी गिनती करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक को दी गई. लेकिन नोटबंदी के आकड़ों को जारी करने में लगभग 10 महीने तक का वक्त लग गया. विपक्ष से बार-बार यह सवाल उठता रहा कि आखिर आरबीआई नोटबंदी के आंकड़ों को क्यों नहीं जारी कर रहा है? आंकड़े जारी न होने की वजह से भ्रम की स्थिति बनी हुई थी कि आखिर कितना पैसा नहीं आया और उनमें कितना पैसा काला धन रहा.

12 जुलाई, 2017 को आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने वित्त पर बनी संसदीय स्थायी समिति की बैठक में एक लिखित जवाब में कहा था कि नोट गिनने वाली मशीन यानि कि सीपीसीवी (मुद्रा सत्यापन प्रसंस्करण प्रणाली) मशीन की कमी के चलते नोटबंदी के आंकड़ों को नहीं बता पा रहे हैं. उन्होंने ये भी कहा था कि नई मशीनों के लिए टेंडर जारी किए गए हैं और नई मशीनों की मदद से नोटबंदी के आंकड़ों को जल्दी बताया जा सकेगा.

लेकिन इस सिलसिले की एक आरटीआई की जानकारी कुछ अलग कहानी बयान कर रही है. आरटीआई में ये पूछा गया कि आरबीआई ने कितनी नई मशीनों को खरीदा है और उन मशीनों से कितने पुराने नोटों की गिनती की गई है तो पता चला कि आरबीआई ने अभी तक एक भी नई मशीन नहीं खरीदी है. आरबीआई ने 22 जुलाई 2017 को 12 नई मशीनों को लीज पर लेने के लिए टेंडर जारी किया था लेकिन एबीपी न्यूज को आरटीआई से यह पता चला है कि अभी तक सिर्फ सात मशीनों को लीज पर लेने की प्रक्रिया ही चल रही है जबकि नोटबंदी के आंकड़े 30 अगस्त 2017 को ही जारी किए जा चुके हैं. अब सवाल यह उठता है कि अगर पुरानी मशीनों से ही नोटों की गिनती की जानी थी तो फिर उर्जित पटेल ने संसदीय समिति के सामने नए मशीनों का हवाला देकर नोटबंदी के आंकड़ों में देरी की बात क्यों की?

ध्यान देने वाली बात यह है कि इसी टेंडर नोटिस को पहले 12 मई 2017 को जारी किया गया था और फिर उसी टेंडर को कैंसिल करके इसी टेंडर को 22 जुलाई 2017 को फिर से जारी किया गया. आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के बयान के हिसाब से अगर नोट गिनने के लिए नए मशीनों की जरुरत थी तो इन्हें पिछली टेंडर या उससे पहले ही खरीद लिया जाना था. बावजूद इसके पिछली टेंडर को कैंसिल किया गया.


आपको बता दें कि नोटों की गिनती के लिए अभी तक आरबीआई के पास कुल 59 सीपीसीवी (मुद्रा सत्यापन प्रसंस्करण प्रणाली) मशीन है. इसके साथ ही आरबीआई सात और मशीनों को वाणिज्यिक बैंक के साथ स्तेमाल करता है. इन मशीनों की एक सेकंड में तीस नोट गिनने की क्षमता है. आरबीआई ने जो टेंडर जारी किया था उसमें भी कम से कम तीस नोट प्रति सेकंड गिनने की क्षमता की मांग की गई थी. इस हिसाब से नए मशीनों की क्षमता भी पुरानी मशीनों जितना ही होतीं. आरटीआई के जरिए ये भी पता चला है कि आरबीआई ने 31 मार्च 2017 तक 500 और 2000 के नए नोट छापने में कुल 25,07,54,85,140 रुपये की राशि खर्च की गई है.

वित्त पर बनी संसदीय स्थायी समिति नोटबंदी के मामले को देख रही है. इस समिति के चेयरमैन एम वीरप्पा मोइली हैं. दिग्विजय सिंह, मनमोहन सिंह जैसे कई लोग इस समिति के सदस्य हैं. 12 जुलाई को नोटबंदी को लेकर हुई बैठक में दिग्विजय सिंह, मनमोहन सिंह, डॉ.रंगराजन जैसे कई लोग मौजूद थें.