ABP Network Ideas Of India Will Focus On Naya India: एबीपी नेटवर्क अब अपने दो दिवसीय आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2023 के आयोजन के लिए तैयार है. ये इस समिट का दूसरा संस्करण है. दरअसल पहले आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में भारत को प्रगति की राह पर ले जाने वाले विचारों को साझा करने के लिए भारतीय बुद्धिजीवी इसके जरिए एक मंच पर जुटे थे.


इस समिट का दूसरा संस्करण "नया इंडिया: लुकिंग इनवर्ड, रीचिंग आउट" की थीम पर है. ये 24-25 फरवरी 2023 को आयोजित किया जाएगा. इसमें एक बार फिर से अलग-अलग क्षेत्रों के महारथी बीते 75 साल में भारत के सफर के बारे में बात करेंगे और भविष्य के लिए अपने विचार साझा करेंगे. इसमें कई बिजनेस आइकन, सांस्कृतिक राजदूतों और राजनेताओं को सुनने के लिए आप भी एबीपी नेटवर्क के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में शामिल हो सकते हैं. 


वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव के बीच हो रहा समिट


एबीपी नेटवर्क का 24-25 फरवरी को आयोजित होने जा रहा "आइडियाज ऑफ इंडिया समिट" का दूसरा संस्करण ऐसे वक्त में होने जा रहा है जब दुनिया भू-राजनीतिक तनाव से गुजर रही है. वहीं भारत में अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. ऐसे वक्त में "नया इंडिया: लुकिंग इनवर्ड, रीचिंग आउट" विषय पर बिजनेस आइकन, सांस्कृतिक राजदूत और राजनेता को विचार साझा करते देखना अपने आप में एक अलग अनुभव होगा. 


ये समिट इसलिए भी अहम है क्योंकि दुनिया अशांति के दौर से गुजर रही है. जब बदले और नवीनीकरण की मांग करने वाली ताकतें इतिहास को चुनौती दे रही हैं. इसके साथ ही यह एक ऐसा वक्त भी है जब विज्ञान असंभव को संभव कर दिखा रहा क्योंकि तेजी से प्रौद्योगिकी समाज का लोकतंत्रीकरण कर रही है. 


यूक्रेन पर हमले का एक साल पूरा होने को है. इस जंग से कम फायदे और सख्त मुखालफत के बावजूद भी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दे रहे हैं. दूसरी तरफ जब चीन में कोविड-19 महामारी से सख्ती से निपटने को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 


ये ऐसा वक्त है जब ईरान ने देश में हिजाब कानून तोड़ने वाली 22 साल की महसा अमिनी की कथित हिरासत में मौत के जवाब में हजारों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को खासकर  महिलाओं को सड़कों पर उतरते देखा. 


ये वो दौर है जब उत्तरी अमेरिका में सामाजिक रूढ़िवाद की ताकतें उदार लोकतंत्र की नींव को ही खतरे में डालने पर तुली हैं. दक्षिण एशिया आर्थिक अस्थिरता से बेहाल हो रहा है. ये एक तरह से सत्ता पर आसीन लोगों की मंशा की जांच के रास्ते खोल रहा है. रोजगार और बढ़ती लागत देश में मुख्य मुद्दे बने हुए हैं.


यहां तक कि सीमाओं के पार शरणार्थी प्रवेश के लिए अंतहीन इंतजार कर रहे हैं. इस आजादी के लिए वो अपनी जिंदगी को जोखिम में डालने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं. देखा जाए तो इन सभी मुद्दों के केंद्र में सत्ता की धुरी में बदलाव, पुराने गठबंधनों पर सवाल उठाना और मिले ज्ञान को चुनौती देना है. इस दौर में भारत की जगह कहां है वो कहां खड़ा है इसे पर नजर डालना भी जरूरी है. 


विश्व में भारत...


वैश्विक उथल-पुथल के इस दौर में भारत इस वक्त विश्व इतिहास में कहां खड़ा है. जब देश में 2024 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक साल बाकी है? भारत के लिए आने वाला वक्त बेहद व्यस्तता का होने जा रहा है क्योंकि 9 राज्यों में साल 2023 में विधानसभा चुनाव है. जहां एक ओर पुनरुत्थानवाद की अंगड़ाई लेता दक्षिण भारत है तो दूसरी तरफ दोबारा से जीवित होता राजनीतिक विपक्ष और एक पूरी नई पीढ़ी सभी क्षेत्रों में नेतृत्व करने के लिए बेताब है.


भारत मौजूदा वक्त में दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यही नहीं देश ने 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है. इसे लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी है और 'मेक इन इंडिया' की दिशा में अपनी कोशिशों को तेज रफ्तार दी है. इसके जरिए देश में वैश्विक निवेश और स्थानीय विनिर्माण और रोजगार को मजबूत करने की तैयारी की जा रही है.



इन अहम मुद्दों को लेकर ही एबीपी नेटवर्क आइडियाज ऑफ इंडिया समिट के दूसरे संस्करण में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव अपने विचार साझा करेंगे. वहीं अभिनेत्री आशा पारेख और अभिनेता आयुष्मान खुराना सहित लेखक अमिताव घोष और देवदत्त पटनायक जैसी हस्तियां 'नया इंडिया' के गठन पर विचार-विमर्श करेंगी.


एबीपी नेटवर्क आइडियाज ऑफ इंडिया समिट के पहले संस्करण में इंजीनियर और इनोवेटर सोनम वांगचुक, नोबेल पुरस्कार विजेता और बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर सहित वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी ने शिरकत की थी.


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