सुप्रीम कोर्ट की सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह और पूर्व सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में हिस्सा लिया. जहां दोनों ही सीनियर वकीलों ने भारत में न्यायपालिका और उसकी चुनौतियों को लेकर चर्चा की. इस सेशन में ज्युडिशियल ऑटोनोमी पर चर्चा हुई. 


संविधान में सभी को एक जैसा सम्मान
सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह से जब पूछा गया कि भारत की न्यायपालिका सबसे ज्यादा आजाद किस दौर में रही और आप इसे कैसे देखती हैं, तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि, मुझे लगता है कि इस देश की फाउंडेशन काफी ज्यादा मजबूत है. हमारे देश में पूरी दुनिया का सबसे अच्छा संविधान है. हमारे पास डॉ अंबेडकर जैसे बेहतरीन लोग थे, जिन्होंने इस संविधान को तैयार किया. इस संविधान ने सरकार चलाने का एक सिद्धांत दिया, जिसे सेक्युलर कहा जाता है. जिसमें देश के हर नागरिक को एक तरह समझा जाता है, एक तरह का सम्मान दिया जाता है. इससे मतलब नहीं होता है कि आप क्या करते हैं और किस पद पर हैं. 


इंदिरा जयसिंह ने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, भारतीय संविधान की ये गाइडलाइन है, लेकिन असली सवाल ये है कि कौन संविधान की इस भावना को लागू कर चलता है. संविधान का सबसे अहम हिस्सा मौलिक अधिकार हैं, जिन्हें सभी लोगों के लिए बनाया गया है. पहले हमें ये तय करना होगा कि ज्युडिशियरी को किससे आजादी चाहिए. मेरा मानना है कि इमरजेंसी के दौरान पहली बार ज्युडिशियरी ने अपनी आजादी खोई थी. मौजूदा दौर में बिना इमरजेंसी की घोषणा किए काफी कुछ हो सकता है. एक नागरिक और वकील के लिए सत्ता को चुनौती देना तब आसान है जब उसके पास कोई लिखित दस्तावेज हो. लेकिन आज आपके पास लिखित में ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है. 


बैकडोर से भी हो रही जजों की एंट्री
सीनियर एडवोकेट ने कहा कि, मेरा मानना है कि कुछ हद तक ज्युडिशियरी की आजादी को खत्म किया गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जरिए होने वाली नियुक्तियां बैकडोर से भी हो रही हैं. वहीं पेपर पर लिखा गया नियम ये कहता है कि इसका एक सिस्टम है. जिसमें कोलेजियम ये तय करता है कि कौन जज बनेगा और कौन नहीं. सरकार से इसे लेकर सलाह ली जाती है. कई बार सरकार इसे मंजूर कर देते है, कभी इसे सीधे खारिज भी कर देती है. इसीलिए मुझे लगता है कि आज हम उस मोड़ पर हैं जहां ज्युडिशियरी की आजादी खोने का खतरा है. 


न्यायपालिका पर भरोसा करते हैं लोग - पिंकी आनंद
ज्युडिशियरी की आजादी पर पूछे गए इसी सवाल का जवाब देते हुए पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सीनियर एडवोकेट पिंकी आनंद ने कहा कि, आज भारत में अगर एक आम आदमी को कोई शिकायत है तो वो कहां जाएगा. सभी जानते हैं कि वो आम आदमी सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा. क्योंकि वो न्यायालय पर भरोसा रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा से ही बड़े मसलों पर खुद संज्ञान लिया है. फिर चाहे वो 2जी और कोल जैसे घोटाले हों, सुप्रीम कोर्ट ने हर स्तर पर इसमें हस्तक्षेप किया और इसका संज्ञान लिया. अब इसे आप आजादी नहीं कहेंगे तो किसे कहेंगे. उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि इस देश में मजबूत सरकार और मजबूत ज्युडिशियरी है. 


इस दौरान इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की इतिहास में पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि, मैं अकेली ऐसी वकील थी जो इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई. क्योंकि ये इतिहास में पहली बार हो रहा था. ये ट्रांसपेरेंसी के लिए था. जब चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के साथ बातचीत का विकल्प नहीं रह गया तो उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला किया. ये एक बहुत बड़ी बात थी. लेकिन जो जज इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को हेड कर रहे थे, वो बाद में चीफ जस्टिस बने और फिर उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत कर दिया गया. इससे भी ज्युडिशियरी की स्वतंत्रता को लेकर सवाल खड़े होते हैं. मुझे अब तक समझ नहीं आया कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस आखिर क्यों हुई थी. 


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