एबीपी न्यूज के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 2022 में शिक्षा को लेकर चर्चा हुई, जिसमें मशहूर शिक्षक और सुपर 30 के फाउंडर आनंद कुमार ने हिस्सा लिया. इस दौरान आनंद कुमार ने नई शिक्षा तकनीक और ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर कई सवालों के जवाब दिए. 


शिक्षकों को नहीं मिल पा रही है जगह
भारत के मौजूदा एजुकेशन सिस्टम को लेकर आनंद कुमार ने कहा कि, इसमें अभी बहुत सारे प्रयोग होने बाकी हैं. आज हम ऑनलाइन क्लासेस के बारे में चर्चा कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई भी बोलना मेरा काम है. जब हम छोटे थे तो पिताजी बोलते थे कि हरिभूषण बाबू से पढ़ो जो बच्चों को कॉन्सेप्ट समझाते हैं. लेकिन धीरे-धीरे ये बदलता चला गया. लोगों की धारणा बदल गई, लोग बोलने लगे कि उस कोचिंग का तो बहुत अच्छा रिजल्ट है, अच्छे रैंक ला रहे हैं, वहां पढ़ो. टीचर की पढ़ाने की कलाकारी खत्म हो गई. जो लोग प्राइवेट तौर पर एजुकेशन को चला रहे हैं उसका स्वरूप बदल रहा है. बेचारा टीचर जो दिल से पढ़ा रहा है वो जगह पाने के लिए छटपटा रहा है. 


फिल्म को लेकर भी दिया जवाब
आनंद कुमार की जिंदगी पर फिल्म सुपर 30 बन चुकी है, जिसमें ऋतिक रोशन ने उनका किरदार निभाया था. जब आनंद से इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, स्क्रिप्ट तो 8 साल पहले ही लिखकर तैयार कर ली गई थी, लेकिन इस देहाती मास्टर पर फिल्म बनाने के लिए कोई तैयार नहीं था. लेकिन एक समय आया, जब लोग मेरे पास आने लगे कि हम आपकी फिल्म बनाएंगे. लेकिन ऋतिक जी की बात ही कुछ और थी. उन्होंने इस फिल्म के लिए काफी ज्यादा मेहनत की. 






बच्चों को उनकी जिंदगी के लिए करना होगा तैयार - सुमीत मेहरा


इस सेशन में आनंद कुमार के अलावा LEAD के को-फाउंडर और सीईओ सुमीत मेहरा और अपग्रैड (UPGRAD) के को-फाउंडर फाल्गुन कोंपाली भी मौजूद रहे. सुमीत मेहरा ने कहा कि, जब कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं तो वो ये चाहते हैं कि जब वो कॉलेज में जाएं तो वो अपनी आगे की जिंदगी के लिए पूरी तरह तैयार रहें. लेकिन आमतौर पर स्कूलों में ज्यादातर बच्चों में वो स्किल नहीं होती हैं, जिससे उन्हें अच्छे कॉलेज में दाखिला मिल सके. स्कूल सिर्फ एग्जाम के लिए तैयार करते हैं, उन्हें कैसे जिंदगी जीनी है उसके लिए नहीं. बच्चों को कम्युनिकेशन के लिए तैयार नहीं किया जाता, सोचने के लिए तैयार नहीं किया जाता, बेसिक सिटिजनशिप के लिए और एक अच्छा इंसान बनने के लिए उन्हें तैयार नहीं किया जाता है. 


अपग्रैड (UPGRAD) के को-फाउंडर फाल्गुन कोंपाली ने ऑनलाइन एजुकेशन को लेकर कहा कि, इंफ्रास्ट्रक्चर की सबसे ज्यादा कमी है. इसीलिए दूर दराज के कस्बों और गांवों तक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर आसानी से पहुंचाया जा सकता है. हमें इसे लेकर काम करना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि आने वाले सालों में ये तेजी से होगा और ऑनलाइन एजुकेशन सभी के लिए होगी. 


सरकारी नौकरियों के लिए क्यों है मारामारी?
सरकारी नौकरियों के लिए हर साल लाखों आवेदन किए जाते हैं. चाहे वो नौकरी कोई भी क्यों ना हो, युवा किसी तरह इसे लेना चाहते हैं. इस पर आनंद कुमार से जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, जब कैंब्रिज में मुझे एडमिशन मिला और हम नहीं जा पाए. तब लोगों ने कहा कि, पिताजी की जगह पर अनुकंपा के आधार पर जो सरकारी नौकरी मिल रही है वो कर लो. लोग बोलते थे कि पिताजी की सरकारी नौकरी करोगे तो ही शादी होगी. सरकारी नौकरी का क्रेज है, क्योंकि वहां ऊपरी आमदनी का कॉन्सेप्ट बना हुआ है. कोरोनाकाल में कई लोगों की नौकरी चली गई, सरकारी लोगों की नहीं गई. इसके लिए सरकार को भी एक कॉन्सेप्ट बनाना चाहिए. जिन टीचर्स का फीडबैक और रिजल्ट अच्छा होगा, उनकी थोड़ी-थोड़ी सैलरी बढ़ाई जाएगी. ऐसा होने पर कॉम्पिटिशन बढ़ेगा. 


इसी मुद्दे पर लीड के सीईओ सुमीत मेहता ने कहा कि, हमें पूरी तरह सरकारी नौकरियों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. हमें खुद का कुछ करने का सोचना चाहिए. लगातार नई कंपनियां बनाई जा रही हैं. इस दौर में यूथ मौके के लिए सोचता है. फाल्गुल कोंपाली ने कहा कि, इसमें ये भी एक तर्क है कि जिन लोगों के पास बैकअप होता है और अच्छा बैकग्राउंड होता है वही ज्यादा रिस्क लेने के बारे में सोच पाते हैं. जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती है, वो सिर्फ जॉब सिक्योरिटी चाहते हैं.