नई दिल्ली: इराक में 39 भारतीयों की मौत के साथ किसी मां का बेटा, तो किसी का भाई, तो किसी का पति, तो किसी का पिता छिन गया. परिवार में मातम जैसा माहौल है. परिजनों को अपनों के खोने के दर्द के साथ यह सालता रहेगा कि चार साल पहले से लापता हुआ एक सदस्य का आखिरी चेहरा भी नहीं देख पाएंगे. उन्हें मिलेगा भी तो सिर्फ अवशेष.

मारे 39 भारतीयों में से एक की बहन गुरपिन्दर कौर ने आज कहा कि उन्हें अपने भाई की मौत पर विश्वास नहीं हो रहा है क्योंकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सालों तक उसके जीवित होने का भरोसा दिलाया है. गुरपिन्दर ने टीवी में समाचार सुनने के बाद कहा कि जब मंत्रालय उनसे संपर्क करेगा, वह तभी मानेंगी कि उनका भाई वास्तव में अब नहीं रहा है.

सुषमा ने राज्यसभा में आज दिये बयान में बताया कि इराक के मोसुल कस्बे में आईएसआईएस आतंकियों द्वारा तीन साल पहले अपहृत किये गये39 भारतीयों की मौत हो गयी है और उनके शव बरामद हो चुके हैं.

स्वराज ने उच्च सदन में दिये बयान में कहा, ''आतंकी संगठन द्वारा40 भारतीयों का अपहरण किया गया था, लेकिन उनमें से एक व्यक्ति खुद को बांग्लादेशी मुसलमान बताकर बच निकला.''

भारतीय समूह में शामिल मनजिन्दर सिंह की बहन गुरपिन्दर ने कहा, ''मैंने टीवी में यह सुना है, लेकिन जब तक विदेश मंत्रालय मुझसे संपर्क नहीं करता, मैं इस पर भरोसा नहीं करूंगी.'' उसने साथ ही कहा कि विदेश मंत्री हमेशा यही कहती रही हैं कि वह जिंदा है और सरकार उनका पता लगाने का प्रयास कर रही है.

मारे गये भारतीयों में शामिल देवेंदर सिंह की पत्नी मनजीत कौर ने कहा कि मेरे पति 2011 में मोसुल गये थे और उने 15 जून 2014 को अंतिम बार बात हुई थी. हमारी सरकार से कोई मांग नहीं है. देवेंदर सिंह पंजाब के जालंधर के रहने वाले थे.

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जालंधर के ही मारे गये एक भारतीय के भाई ने कहा कि हमें सूचना मिली की मेरे भाई को अगवा कर लिया गया. उसके बाद हमें कोई जानकारी नहीं मिली. मेरा दो बार डीएनए किया गया लेकिन कोई सूचना नहीं दी गई.

39 भारतीयों में 31 पंजाब, 4 हिमाचल प्रदेश और बिहार-पश्चिम बंगाल के 2-2 नागरिक शामिल हैं. साल 2014 में जब आईएस ने इराक के दूसरे सबसे बड़े शहर मोसुल को अपने कब्जे में लिया था तब इन भारतीयों को बंधक बना लिया था.