नई दिल्ली: कांग्रेस ने इराक में बंधक बनाये गये 39 भारतीयों की मौत को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पर मामले को संवेदनशील ढंग से नहीं निपटाने का आरोप लगाया. कांग्रेस ने आज मांग की कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इसके लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए. साथ ही पार्टी ने यह भी कहा कि प्रत्येक मृतक के निकट परिजन को सरकार की ओर से दो करोड़ रुपये दिये जाएं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इन भारतीयों की मौत पर स्तब्धता जताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है.


पार्टी महासचिव अंबिका सोनी ने कहा कि इस घटना को लेकर न केवल विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मृतकों के परिजन से माफी मांगनी चाहिए बल्कि उन्हें अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत के साथ सार्वजनिक तौर पर भी इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इराक में बंधक बनाये गये इन भारतीयों का मामला जुलाई 2014 से ही उठा रही थी. उसने संसद में विदेश मंत्री को तमाम सबूत दिये जिनमें यह दावा किया गया था कि इन बंधक भारतीयों की जिदंगी खतरे में है या उन्हें मार दिया गया.


सुषमा स्वराज ने हरजीत मसीह सहित हर व्यक्ति के दावों को नकार दिया था: अंबिका सोनी


अंबिका सोनी ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हरजीत मसीह सहित हर व्यक्ति के दावों को नकार दिया था. उन्होंने संसद के पटल पर यह कहा था कि मोसुल में बंधक बनाये गये भारतीय न केवल जिंदा हैं बल्कि सकुशल हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले को संवेदनशील ढंग से नहीं निबटाया. उन्होंने कहा कि बंधक बनाये गये भारतीयों के परिवार पिछले चार साल से अपने प्रियजन का हाल जानने के लिए दर- दर भटक रहे थे.


कांग्रेस नेता ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उनके सूत्र इस बात का संकेत दे रहे हैं कि बंधक बनाये गये भारतीय जीवित और कुशल हैं. उन्होंने कहा कि इन सूत्रों के बारे में वह अंबिका सोनी को नहीं बता सकतीं क्योंकि वह मंत्री नहीं हैं. अंबिका सोनी के अनुसार सुषमा स्वराज ने उच्च सदन में कहा था कि उन्होंने इन भारतीयों के सुरक्षित होने के सबूतों को तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर के साथ साझा किया है.


मारे गये 39 भारतीयों के लिए राज्यसभा में आज दो मिनट का मौन भी नहीं रखा गया: अंबिका सोनी


अंबिका सोनी ने कहा कि आज राज्यसभा में यह बात बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण रही कि सुषमा स्वराज जल्दबाजी में केवल अपना बयान देकर चली गयीं और इस बारे में विपक्ष के किसी भी नेता को अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात यह रही कि मारे गये 39 भारतीयों के लिए राज्यसभा में आज दो मिनट का मौन भी नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि इस मामले में जिस प्रकार से सुषमा स्वराज ने संसद और प्रभावित परिवारों को गुमराह किया है, उसके लिए उन्हें न केवल मृतकों के परिजन से माफी मांगनी चाहिए बल्कि उन्हें प्रकाश सिंह बादल और हरसिमरत की उपस्थिति में सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए.


इससे पहले आज राहुल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ मैं यह सुनकर स्तब्ध हूं कि 2014 से इराक में बंधक बनाये गये गये 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि हो गयी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं उन परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं जो इस आशा के साथ जी रहे थे कि उनके प्रियजन सुरक्षित वापस लौटेंगे. मेरा दिल और दुआएं आप सभी के साथ हैं.’’


यह केवल पीड़ितों के परिजनों के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए एक त्रासदी है: गुलाम नबी आजाद


उनकी पार्टी के नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह केवल पीड़ितों के परिजनों के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए एक त्रासदी है. कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने असंवेदनशीलता की सारी हदें पार कर दी हैं. उन्होंने कहा कि सवाल है कि मोदी सरकार ने देश और बंधक बनाये गये लोगों के परिजन को गुमराह क्यों किया. उन्होंने भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को देश से माफी मांगनी चाहिए. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सरकार को जल्दबाजी में यह घोषणा इसलिए करनी पड़ी क्योंकि उसे भय था कि कही मारटेयर्स फाउंडेशन नामक इराकी समूह उसे बेनकाब न कर दे.


विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज राज्यसभा में कहा कि इराक में आईएसआईएस द्वारा अगवा सभी 39 भारतीय मारे जा चुके हैं. उच्च सदन में सुषमा स्वराज ने अपनी ओर से दिए गए एक बयान में बताया कि इराक के मोसुल शहर में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने कम से कम 40 भारतीयों का अपहरण किया था. इनमें से एक व्यक्ति खुद को बांग्लादेश से आया मुस्लिम बता कर बच निकला.


शेष 39 भारतीयों को बदूश ले जा कर मार डाला गया. उन्होंने बताया कि अपहृत भारतीयों को बदूश शहर ले जाए जाने के बारे में जानकारी उस कंपनी से मिली जहां ये भारतीय काम करते थे. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने पहले संसद में जोर देकर कहा था कि बंधक बनाये गये भारतीय जीवित हैं पर अब कहा जा रहा है कि वह मारे जा चुके हैं.