नई दिल्ली: साल 2010 में हुए 2जी घोटाले में सीबीआई कोर्ट आज फैसला सुनाएगी. 2जी के नाम पर देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा.  इस मामले में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा और डीएमके सांसद कनिमोझी को जेल तक जाना पड़ा. इनके अलावा कई कंपनियां और कई कारोबारी भी इसमें आरोपी हैं.


2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुडे कुल तीन मामलों में अदालत को अपना फैसला सुनाना है. हालांकि ये तीनों ही मामले 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से जुड़े हुए हैं. दो मामलों में जांच एजेंसी सीबीआई है तो एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने जांच की है, हालांकि तीनों ही मामले एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.

सीबीआई की पहली चार्जशीट में कुल 17 आरोपी बनाए गए थे, जिसमें 14 लोग और तीन कंपनियां शामिल थे. वहीं दूसरे मामले में पांच लोग और तीन कंपनियों का नाम शामिल था. बात की जाए प्रवर्तन निदेशालय के मामले की तो इसमें कुल 19 के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई थी, जिसमें दस लोग और नौ कंपनियां शामिल थीं. कोर्ट का फैसला सुबह 10:00 से 10:30 बजे के बीच आएगा.

सीएजी रिपोर्ट से हुआ था खुलासा

टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले की बात सबसे पहले साल 2010 में सामने आयी थी. साल 2010 में सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि जिस दौरान राजा दूरसंचार मंत्री थे, उस दौरान जो टूजी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया था, उससे देश को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था.

टूजी घोटाले से जुड़े तीन मामलों में अदालत को अपना फैसला सुनाना है. इसमें दो सीबीआई और एक केस प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया था. ए राजा पर दूरसंचार मंत्री रहते हुए शाहिद बलवा की कंपनी स्वान टेलिकॉम को नियमों को ताक पर रखकर 2जी लाइसेंस देने का आरोप है.

डीएमके की पूर्व सांसद कनिमोझी पर क्या हैं आरोप

आरोप है कि जब डीएमके की सांसद कनिमोझी कलाइंगर टीवी की डायरेक्टर थीं, उस वक्त 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के बदले डीबी ग्रुप ने कलाइंगर टीवी को 200 करोड़ रूपए की रिश्वत दी थी. आरोप है कि ए राजा के मनमाने तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटन करने की वजह से सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ.

सुप्रीम कोर्ट ने किए थे टूजी स्पेक्ट्रम के सभी 122 लाइसेंस रद्द

अदालत में सुनवाई के दौरान दलील देते हुए ए राजा ने कहा कि उन्होंने कोई गड़बड़ी नहीं की है. उस दौरान जो भी फैसले लिए गए थे वो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जानकारी में थे और रही बात टूजी स्पेक्ट्रम के आवंटन की तो उस दौरान कोई घोटाला नहीं हुआ है. लेकिन ए राजा का केस उस दौरान और ज्यादा खराब हो गया जब साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने राजा के कार्यकाल के दौरान आवंटित किए गए टूजी स्पेक्ट्रम के सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे.

सीबीआई अदालत ने अक्तूबर 2011 में आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने, फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करने, सरकारी पद के दुरुपयोग, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धाराओं में आरोप तय किए थे. दोषी पाए जाने पर आरोपियों को छह महीने की सजा से लेकर उम्र कैद तक हो सकती है.

दोषियों को मिल सकती है उम्रकैद तक की सजा

आईपीसी की धारा 409 कहती है कि अगर अदालत इस धारा के तहत किसी को दोषी करार देती है तो उसको उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है. ऐसे में अगर अदालत ने अपने फैसले में ए राजा समेत बाकी आरोपियों को आईपीसी की धारा 409 के तहत दोषी करार दिया तो आऩे वाले दिनों में उनकी मुश्किलें काफी बढ़ सकती हैं.

ए राजा और कनिमोझी अभी ज़मानत पर पर रिहा हैं. सीबीआई ने अप्रैल 2011 में अदालत में करीब 80000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी. इस चार्जशीट में 125 गवाहों और 654 दस्तावेज़ों का ज़िक्र किया गया था.