नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को अपने वादे का ‘अलग हटके’ बजट पेश करने वाली हैं. इस बजट से उम्मीद की जा रही है कि इसमें महामारी से पीड़ित आम आदमी को राहत दी जायेगी. साथ ही स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे और रक्षा पर अधिक खर्च के माध्यम से आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिये जाने की भी उम्मीद की जा रही है.


यह एक अंतरिम बजट समेत मोदी सरकार का नौवां बजट होने वाला है. यह बजट ऐसे समय पेश हो रहा है, जब देश कोविड-19 संकट से बाहर निकल रहा है. इसमें व्यापक रूप से रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास पर खर्च को बढ़ाने, विकास योजनाओं के लिये उदार आवंटन, औसत करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा डालने और विदेशी कर को आकर्षित करने के लिये नियमों को आसान किये जाने की उम्मीद की जा रही है.


बजट से रक्षा क्षेत्र को क्या उम्मीदें?
कोरोना महामारी के बाद देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा खड़े करने के साथ ही देश की सुरक्षा भी सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में है. देश की दो सीमाओं पर दुश्मन भारत की ओर आंखें गड़ाए बैठा है. चीन और पाकिस्तान भारत की बस एक चूक के इंतजार में हैं. ऐसे में भारत को अपनी सेना और सीमा की मजबूती पर भी का भी ध्यान रखना है. चीन के साथ लंबे समय से चल रहे तनाव और पाकिस्तान की ओर से लगातार जारी आतंकी घुसपैठ के बीच इस बजट से रक्षा क्षेत्र को काफी उम्मीदें हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुद रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुकी हैं. इसलिए रक्षा के क्षेत्र में भारत का जरूरतों का उन्हें आभास है.


सिक्कम के नाकू ला में चीनी सेना के साथ भारतीय आर्मी की टकराव और इससे पहले पिछले साल 15 जून को गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के चलते लोग देश की रक्षा को लेकर काफी सचेत दिख रहे हैं. दूसरी तरफ पाकिस्तान लगातार सीमा पर घुसपैठ की फिराक में लगा हुआ है. ऐसे में देश के आम लोगों की बीच रक्षा बजट चर्चा का विषय बना हुआ है.


सीमा पर सुरक्षा ढांचे को और सेना को मजबूत करने के लिए हाईटेक हथियारों की खरीद के लिए सरकार इस बार रक्षा बजट को बढ़ा सकती है. साल 2020-21 में भारत का रक्षा बजट 3.05 लाख करोड़ का था. इसके साथ ही पूर्व सैनिकों की पेंशन के लिए 133,825 करोड़ का बजट साल 2020-21 के लिए रखा गया था. रक्षा बजट का 56% थल सेना के लिए, 23% वायुसेना के लिए, 15% नौसेना के लिए और डीआरडीओ के लिए 6% बजट रखा गया था.


गलवान और डोकलाम जैसी घटनाओं और एलओसी पर लगातार बढ़ती घुसपैठ से भारत के पड़ोसियों की नीयत साफ जाहिर होती है. भारत को अपनी सेनाओं को और मजूबत करने की जरूरत है, जिससे दुश्मन आंख उठाकर भी ना देख सके. भारत की वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की कमी है, वायुसेना ने सरकार को 114 लड़ाकू विमानों की आवश्यता बताई है. इसके साथ ही थल सेना और नौसेना को भी इस बजट से काफी उम्मीदें हैं.


जनता की राय- क्या देश का रक्षा बजट बढ़ना चाहिए?
एबीपी न्यूज ने सी-वोटर के साथ सर्वे को केन्द्रीय बजट को लेकर लोगों का मूड जाना है. एबीपी न्यूज़ ने लोगों से पूछा कि क्या देश का रक्षा बजट बढ़ना चाहिए? 63 फीसदी लोग हां में जवाब दिया, जबकि 17 फीसदी का कहना रक्षा पर सरकार को और खर्च करने की जरूरत नहीं है. वहीं 20 फीसदी इस पर कुछ राय नहीं बना पाए.


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