नई दिल्ली: साल 2002 गुजरात दंगों में धार्मिक इमारतों को हुए नुकसान की पूरी भरपाई राज्य सरकार को नहीं करनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. राज्य सरकार मकानों के लिए मुआवज़े की नीति के मुताबिक धर्मिक इमारतों के लिए भी एकमुश्त रकम देगी.


गुजरात सरकार की नीति के मुताबिक दंगों में मकान-दुकान के नुकसान के लिए अधिकतम मुआवज़ा 50 हज़ार रुपए है. 2012 में गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को धार्मिक स्थलों को हुए नुकसान की पूरी भरपाई का आदेश दिया था.

हाई कोर्ट ने राज्य के सभी 26 जिलों में दंगों के दौरान क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों की लिस्ट बनाने को कहा था. हर जिले में डिस्ट्रिक्ट जज की अध्यक्षता वाली कमिटी को धार्मिक इमारतों को हुए नुकसान का आकलन कर रिपोर्ट देनी थी.

याचिकाकर्ता इस्लामिक रिलीफ सेंटर ने ऐसे स्थलों की संख्या लगभग 500 बताई थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची राज्य सरकार ने दलील दी थी कि संख्या इससे बहुत कम है. सरकार का ये भी कहना था उसे मुआवज़ा देने के लिए कहना गलत है.

गुजरात सरकार ने कहा था कि उसने धर्मस्थलों को हुए नुकसान की भरपाई न करने की नीति बनाई हुई है. उसने 2001 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हुए धर्मस्थलों के लिए भी कोई मुआवज़ा नहीं दिया था.

सरकार की दलील थी कि वो करदाताओं के पैसों से धर्म को बढ़ावा न देने की अपनी नीति नहीं बदल सकती. हालांकि, वो मकानों को हुए नुकसान के लिए एकमुश्त मुआवज़े की नीति के तहत धार्मिक इमारतों को भी तय रकम देने को तैयार है. इस्लामिक रिलीफ सेंटर के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि सरकार को अपनी गैरजिम्मेदारी से हुए नुकसान की पूरी भरपाई करनी चाहिए.

आज सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की अर्ज़ी को मंज़ूर करते हुए हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार को एकमुश्त रकम देने की अपनी नीति पर अमल करने को कहा. यानी अब ये राज्य सरकार पर निर्भर होगा कि वो कितनी इमारतों के लिए कितना मुआवज़ा देगी. एक इमारत मुआवज़े की रकम 50 हज़ार रुपये से ज़्यादा नहीं होगी.