पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बनी कमेटी ने गुरुवार को अपनी सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. पैनल ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और इसके 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की है. 18000 से अधिक पेजों की इस रिपोर्ट में कमेटी ने कहा कि 'वन नेशन-वन इलेक्शन' से देश की विकास प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और 'इंडिया जो कि भारत है' की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी.


दरअसल, केंद्र सरकार ने सितंबर 2023 में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी को भारत के मौजूदा चुनाव ढांचे का अध्ययन करने और समकालिक चुनावों के लिए आवश्यक संविधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन की सिफारिश करने का काम सौंपा गया. 


कमेटी ने टू स्टेप प्रोसेस की सिफारिश की


पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने टू स्टेप प्रोसेस की सिफारिश की है. यानी पहले स्टेप में लोकसभा चुनाव के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएं. इसके 100 दिन के भीतर सभी निकाय चुनाव कराए जाएं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नई लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने की सिफारिश की है. हालांकि, लोकसभा के लिए कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही हो.इतना ही नहीं कमेटी ने सिफारिश की है कि जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नई विधानसभाओं का कार्यकाल अगर जल्दी भंग नहीं हो तो लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल तक रहेगा.


संविधान में करने होंगे ये बदलाव


कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, इस तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन की आवश्यकता होगी. कमेटी ने कहा, 'इस संवैधानिक संशोधन की राज्यों द्वारा पुष्टि किए जाने की जरूरत नहीं होगी.'  


कमेटी ने सिफारिश की है कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करे. इसके लिए मतदाता सूची से संबंधित अनुच्छेद 325 को संशोधित किया जा सकता है. 


अलग अलग चुनाव से क्या नुकसान?


भारत निर्वाचन आयोग पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी है, जबकि नगर निकायों और पंचायत चुनावों की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोगों पर है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, अब हर साल कई चुनाव हो रहे हैं. इससे सरकार, व्यवसायों, कामगारों, अदालतों, राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक संगठनों पर भारी बोझ पड़ता है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, सरकार को एक साथ चुनाव प्रणाली लागू करने के लिए 'कानूनी रूप से व्यवहार्य तंत्र' विकसित करना चाहिए.