17वीं संसद का साल का आखिरी सत्र शनिवार (10 फरवरी, 2024) को समाप्त हो गया. यह 17वीं संसद का अंतिम सत्र था. 17वीं लोकसभा में एक साल में एवरेज 55 बार बैठक हुई. 17वीं संसद में 274 बैठक हुई हैं. मतलब एक साल में एवरेज 55 बार बैठक हुई है. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय पहली लोकसभा में साल में एवरेज 135 बार बैठक हुई थी.

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नॉन प्रोफिट पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने 2019 से 2024 के बीच एक स्टडी के माध्यम से आंकड़ा पेश किया है. इसमें बताया गया कि 5 सालों में 274 बार लोकसभा की बैठकें हुईं. इससे पहले 16वीं लोकसभा में 17वीं की तुलना में कम सिटिंग हुईं हैं. इसमें 16वीं लोकसभा 5 साल की अवधि से पहले ही भंग हो गई थी.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि साल 2020 में सबसे कम बार संसद की बैठक हुई. उस साल कोरोना महामारी की वजह से संसद की कार्यवाही नहीं हो सकी थी और सिर्फ 33 बार संसद की बैठक हुई. उस साल 15 में से 11 बार लोकसभा जल्दी स्थगित कर दी गई, जिसके पीछे की कोई वजह भी सामने नहीं आई है. इसके परिणामस्वरूप 40 सिटिंग्स अलग-अलग कारणों से कैंसिल कर दी गईं.

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17वीं लोकसभा में पहली बार देखा गया कि यह डिप्टी स्पीकर के बिना ही चली है. संविधान के तहत डिप्टी स्पीकर का होना जरूरी है, जो संविधान के आर्टिकल 93 में दर्ज है. इसमें कहा गया है कि लोकसभा के लिए स्पीकर और डिप्टी स्पीकर चुना जाना जरूरी है. इन पांच साल में कई बार विपक्षी दल सरकार की इस बात को लेकर आलोचना करते नजर आए कि बिल पर चर्चा नहीं हुई और उन्हें जल्दी पास कर दिया गया. स्टडी में बताया गया कि 58 फीसदी बिल प्रस्तावित होने के बाद दो हफ्ते के अंदर ही पास कर दिए गए. इनमें जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल, 2019 और महिला आरक्षण बिल, 2023 भी शामिल हैं. संसद में पेश करने के बाद दो दिन में ही दोनों बिल पास कर दिए गए थे. पीआरस स्टडी में कहा गया कि 35 फीसदी बिल लोकसभा में चर्चा के बाद आधे घंटे से भी कम समय में ही पास हो गए. सिर्फ 16 फीसदी विधेयक ही स्टैंडिंग कमेटी को भेजे गए.

 कम बैठकों का एक और बड़ा नुकसान निजी सदस्यों के विधेयक (PMB) और रिजॉल्यूशन पर पड़ा है. 17वीं लोकसभा में 729 पीएमबी पेश किए गए, जो 16वीं को छोड़कर पिछली सभी लोकसभाओं से अधिक हैं. हालांकि, उनमें से केवल दो पर ही चर्चा हुई. इसी अवधि के दौरान, राज्यसभा में 705 पीएमबी पेश किए गए और 14 पर चर्चा हुई. आज तक, केवल 14 पीएमबी पारित किए गए हैं और उन्हें मंजूरी मिली है. 1970 के बाद से दोनों सदनों में कोई भी पारित नहीं हुआ है.

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