Indian Navy: भारतीय नौसेना के लिए 100 स्वदेशी डेक-आधारित लड़ाकू विमान तैयार किए जाएंगे. कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी जल्द ही इसे डिजाइन और विकसित करने का प्रस्ताव ले सकती है. मामले की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार (14 फरवरी) को बेंगलुरु में चल रहे एयर शो, एयरो इंडिया में इसकी जानकारी दी. 2031-32 तक इसके नौसेना का हिस्सा बनने की उम्मीद है.


एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के महानिदेशक गिरीश एस देवधर ने कहा कि ट्विन इंजन डेक-बेस्ड फाइटर (TEDBF) का पहला प्रोटोटाइप 2026 तक अपनी पहली उड़ान भर सकता है और 2031 तक उत्पादन के लिए तैयार हो सकता है. अधिकारियों के मुताबिक हिंदुस्ताल एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) हर साल 8 विमान तैयार करेगी. इसके तैयार होने तक नौसेना एक नया डेक-बेस्ड फाइटर प्लेन आयात करने पर विचार कर रही है. 


ये होगी खासियत
देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत के लिए नौसेना को 26 नए डेक-आधारित लड़ाकू विमानों से लैस किया जाना है. फिलहाल इसके लिए राफेल एम फाइटर और अमेरिकी एफ/ए-18 में मुकाबला था, जिसमें राफेल ने अमेरिकी सुपर हॉर्नेट को पछाड़ दिया है.


देवधर ने कहा कि टीईडीबीएफ में राफेल एम और एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट दोनों की खासियत होगी. राफेल डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित है, जबकि सुपर हॉर्नेट को बोइंग ने तैयार किया है.


डिजाइन चरण में
देवधर ने बताया कि भारत ने हल्के लड़ाकू विमान (LCA) को विकसित करने में विशेषज्ञता हासिल की है, जो TEDBF परियोजना के काम आएगी. यह वर्तमान में प्रारंभिक डिजाइन चरण में है और इसे जल्दी से आगे बढ़ना चाहिए.


पिछले हफ्ते, एलसीए ने पहली बार आईएनएस विक्रांत से उड़ान भरी और उतरा. दो एलसीए (नौसेना) प्रोटोटाइप को वर्तमान में चल रहे उड़ान परीक्षणों के हिस्से के रूप में विमान वाहक से संचालित किया जा रहा है.


2022 में विक्रांत बना नौसेना का हिस्सा
आईएनएस विक्रांत को पिछले सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था, जो रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम था. इसके साथ ही भारतीय नौसेना उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गई जिनके पास स्वदेशी विमानवाहक पोत है. आईएनएस विक्रांत पर उड़ान परीक्षण में रूसी मूल के मिग-29के फाइटर जेट भी शामिल हैं.


45,000 टन के विक्रांत को कोचीन शिपयार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है. केवल अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन के पास इस आकार के विमान वाहक पोत बनाने की क्षमता है. इसका नाम 1961 से 1997 तक नौसेना द्वारा संचालित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नाम पर रखा गया है.


क्यों है जरूरी?
भारतीय नौसेना वर्तमान में अपने वाहक पर मिग-29K का उपयोग करती है, जिसमें कुछ परिचालन संबंधी मुद्दे हैं. इसके इंजन में ईंधन की समस्या, अत्यधिक तेल की खपत की भी समस्या सामने आई है.


टीईडीबीएफ दो इंजन वाला डेल्टा-विंग लड़ाकू विमान है. एक मल्टी मिशन जेट के रूप में, यह आसमान में भारत की श्रेष्ठता स्थापित करेगा और थिएटर रक्षा के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक युद्ध को अंजाम देगा. उम्मीद है कि टीईडीबीएफ आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत पर मिग-29के की जगह लेगा.


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