ग्लोबल रिसर्च कोलेबोरेटर नेटवर्क ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के एक वैश्विक सर्वे के अनुसार दुनिया भर में सांप काटने से सबसे ज्यादा मौतें भारत में होती हैं. इसी रिपोर्ट की माने तो दुनिया में साल 2019 में सांप के काटने से 63,000 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 51,000 यानी कुल मरने वालों की 80 फीसदी मौतें भारत में हुईं. 


भारत के बाद दूसरे स्थान पर पाकिस्तान है, इस देश में साल सर्प दंश के कारण 2,070 लोगों की मौत हुई. इसके अलावा उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र में 7,331 लोगों की जान गई और अमेरिका में 370 लोगों ने सांप के काटने के कारण अपनी जान गवां दी.


हालांकि इस आंकड़े की तुलना इससे पहले वाले सर्वे से की जाए तो मरने वालों के दर में पर्याप्त कमी आई है. साल 2008 के आंकड़े से 2019 के आंकड़े में मृतकों की संख्या में 36 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है. 




भारत की महत्वाकांक्षी 'मिलियन डेथ स्टडी' प्रोजेक्ट ने पिछले बीस सालों में केवल सांप के काटने से 12 लाख लोगों की मौत का अनुमान लगाया है. इसी स्टडी के अनुसार सर्प दंश के मरने वाले ज्यादातर मृतकों की उम्र 30 से 69 साल के बीच थी. वहीं एक चौथाई बच्चे भी सांप के जहर के शिकार हुए हैं. 


इसी स्टडी के अनुसार साल 2001 से साल 2014 के बीच आने वाले सभी मामलों में लगभग 70 प्रतिशत मौत आठ राज्य बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना समेत), राजस्थान और गुजरात में हुए


मॉनसून के मौसम में ज्यादातर मौत की घटनाएं


शोध के अनुसार ज्यादातर मौतें मॉनसून के महीने में हो रही हैं. हमारे देश में जून से सितंबर के बीच मॉनसून रहता है. माना जाता है कि इस मौसम में ज्यादातर सांप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि ज्यादातर मौतें गांव में होते हैं क्योंकि यहां खेती-बाड़ी करने वालों पर सांप काटने का सबसे ज्यादा जोखिम रहता है. सांप काटने के अधिकांश मामलों में वह अपने शिकार के पैर में ही वार करता है.




लोगों में जागरूकता की कमी


सर्पदंश से बचने का उपाय बताते हुए डॉक्टर राकेश गुप्ता ने एबीपी से बातचीत करते हुए कहा कि ऐसे इलाके जहां खेती बाड़ी जैसे काम हो रहे हैं वहां के लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. खेती के दौरान सांप के काटने से बचने के लिए सामान्य तौर तरीके सिखाए जाने चाहिए. जैसे की किसान को खेतों में जाने से पहले पैर में रबर के जूते का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे सांप के काटने से जहर शरीर तक पहुंचने के चांसेस कम हो जाएंगे. इसके अलावा हाथों में दस्ताने और टॉर्च का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे सांप के काटने का खतरा कम रहता है.


पहले घंटे बेहद अहम


उन्होंने सांप के काटने के पहले घंटे बेहद को अहम बताया बताते हुए कहा, 'उस वक्त सही इलाज मिल जाने से जान बचने की संभावना बढ़ जाती है. इसके बाद मरीजों का इलाज करना मुश्किल हो जाता है. रोगी को सांप के काटने के पहले घंटे के भीतर एंटी-वेनम शॉट की जरूरत होती है. साथ ही, रोगी को सलाह दी जाती है कि जहर को शरीर में फैलने से रोकने के लिए शरीर में ज्यादा हरकत करने से बचें. 


जीआईएमएस में बाल रोग विभाग की प्रमुख डॉ रुचिका भटनागर ने टीओआई के एक रिपोर्ट में कहा कि अगर सांप के काटने वाला व्यक्ति एक किलोमीटर या 10 मिनट से कम चलता है, तो ऐसे मामलों में मृत्यु दर कम होने की संभावना है. क्योंकि बच्चों के शरीर की सतह का क्षेत्रफल और वजन वयस्कों की तुलना में कम होता है, इसलिए जहर का दर्द अधिक होता है, ज़हर मस्तिष्क और शरीर के अन्य हिस्सों में तेजी से पहुँचता है. 




इस कारण से होते हैं जातर मौत 


डॉक्टर कुछ प्रमुख कारणों बताया दो सर्पदंश के रोगियों की मृत्यु का कारण बनता है. उन कारण में सबसे पहला कारण है अस्पतालों तक पहुंचने में देरी, दूसरा कारण है एंटी-स्नेक वेनम शॉट्स देने नहीं देना. डॉ ने कहा, "जागरूकता की कमी के कारण ज्यादातर मरीज हमारे पास देरी से आते हैं, जब वे पहले से ही लॉक-इन सिंड्रोम में होते हैं, यानी अभी भी होश में हैं, लेकिन बोल नहीं सकते या अपनी आंखें नहीं खोल सकते हैं." 


एंटी-वेनम शॉट, वेंटिलेटर, रक्त ट्रांसफ्यूजन, डायलिसिस और दवाओं की मदद से रोगियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है. इसलिए ऐसी परिस्थिति में लोगों को इंतजार नहीं करना चाहिए और मरीज को अस्पताल ले जाना चाहिए.


कौन से सांप होते हैं जहरीले 


न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर विजय नाथ मिश्रा ने बताया कि देश में पाए जाने वाले लगभग 25 से 30 प्रतिशत सांप में जहर होता है. हालांकि कोबरा और करैत है जैसी कुछ प्रजातियां हैं जो काफी जहरीले होते हैं, जिनके काटने से व्यक्ति की जान भी जा सकती है.  ऐसी स्थिति में पीड़ित को एंटी वेनम इंजेक्शन लगवाने की सख्त जरूरत होती है. इसलिए जरूरी है कि जब भी सांप काटे तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए ताकि समय रहते उपचार कर व्यक्ति की जान बचाई जा सके.