भारत में डेटा कंजम्प्शन, क्लाउड कंप्यूटिंग, 5G और AI की मांग की वजह से डेटा सेंटर का बाजार तेजी से बढ़ रहा है. अभी देश की डेटा सेंटर कैपेसिटी करीब 1-1.7 गीगावॉट है, जो 2030 तक 8-9 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसके लिए करी 4 लाख करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट चाहिए. यह पूरा खेल रिलायंस, अडाणी और टाटा जैसी दिग्गज कंपनियों के हाथों में हैं. ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि AI डेटा सेंटर्स होते क्या हैं, भारत के लिए कितने जरूरी और देश में इनका मार्केट गेम कैसे बढ़ रहा है... 

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सवाल 1- AI डेटा सेंटर क्या होते हैं?जवाब- भारतीय बाजार में AI डेटा सेंटर्स का खेल समझने से पहले इनके बारे में समझना जरूरी है...

  • सामान्य डेटा सेंटर तो आपने सुना होगा यानी वो बड़ी-बड़ी इमारतें जहां लाखों कंप्यूटर (सर्वर) 24 घंटे चलते हैं. इनकी मदद से आप फेसबुक-इंस्टाग्राम चलाते हैं, गूगल सर्च करते हैं और बैंकिंग करने समेत कई ऑनलाइन काम करते हैं.
  • AI डेटा सेंटर ठीक वैसा ही है, लेकिन यह खासतौर पर ChatGPT, Gemini, Grok और Midjourney जैसे बड़े-बड़े आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को चलाने के लिए बनाया जाता है.
  • मान लीजिए आपके फोन में नॉर्मल प्रोसेसर है, जो 1 सेकेंड मे 10 कैलकुलेशन करता है. AI को चलाने के लिए लिए ऐसा प्रोसेसर चाहिए जो 1 सेकेंड में 10 लाख करोड़ कैलकुलेशन करे. ऐसे खास प्रोसेसर को GPU या TPU कहते हैं.
  • एक-एक GPU की कीमत 30-40 लाख रुपए होती है. एक रैक में 8-16 GPU होते हैं और पूरे सर्वर रूम में सैकड़ों रैक होती हैं.
  • यह सब इतना हाई-पावर होता है कि सर्वर बहुत गर्म हो जाते हैं, इसलिए कूलिंग सिस्टम चालू होता है. GPU इतने गर्म होते हैं कि बिना कूलिंग के पिघल जाएं, इसलिए लिक्विड कूलिंग से इन्हें ठंडा किया जाता है. 1 मेगावॉट के डेटा सेंटर में 1 साल में 2.5 करोड़ लीटर पानी इस्तेमाल होता है.
  • बिजली की सप्लाई अनइंटरप्टेड रखने के लिए बैकअप जनरेटर्स और रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स जैसे सोलर पैनल लगे होते हैं. एक नॉर्मल डेटा सेंटर 10-20 मेगावॉट बिजली खाता है. AI वाला 100-500 मेगावॉट भी खा जाता है, यानी इतनी बिजली से 50 हजार की आबादी वाले छोटे शहर को बिजली मिल जाए.
  • सिक्योरिटी के लिए बायोमेट्रिक एक्सेस, फायर सप्रेशन और साइबर वॉल्स होते हैं. कुल मिलाकर यह सेंटर्स 24/7 चलते हैं, डेटा को एनक्रिप्टेड रखते हुए क्लाउड सर्विसेज के जरिए दुनियाभर के यूजर्स को कनेक्ट करते हैं.

अगर आप एक AI इमेज जेनरेटर जैसे गूगल जेमिनी का इस्तेमाल करते हैं, तो वो बैकग्राउंड में ऐसे ही एक AI डेटा सेंटर में चलता है, जहां हजारों GPU मिलकर आपकी क्वेरी को प्रोसेस करते हैं. यह सेंटर्स सिर्फ स्टोरेज नहीं करते, बल्कि रीयल-टाइम कैलकुलेशन भी करते हैं. जैसे कि एक डॉक्टर को AI से मरीज की रिपोर्ट एनालाइज करने में मदद करना या एक किसान को मौसम की भविष्यवाणी के लिए AI मॉडल चलाना.

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दुनियाभर में यह सेंटर्स AI की पूरी अर्थव्यवस्था का आधार हैं, क्योंकि बिना इनके AI सिर्फ एक आइडिया रह जाता.

आसान उदाहरण से समझें- मान लीजिए एक बड़ी लाइब्रेरी है, जहां हजारों किताबें रखी हैं. अब एक सुपर ब्रेन वाले रोबोट की तरह उन सारी किताबों को पढ़कर नई किताबें खुद लिख रहा होता है. इस रोबोट को चलाने के लिए बहुत ताकतवर दिमाग यानी GPU, बहुत ठंडक और ढेर सारी बिजली चाहिए. वो सब मिलाकर AI डेटा सेंटर कहलाता है.

सवाल 2- यह सेंटर्स काम कैसे करते हैं?जवाब- AI डेटा सेंटर्स का कामकाज एक सुपरकंप्यूटर फैक्ट्री की तरह होता है, जहां हर हिस्सा परफेक्ट सिंक में चलता है...

  • सबसे पहले, डेटा इनपुट होता है, यह कोई भी हो सकता है, जैसे टेक्स्ट, इमेज, वाडियो या सेंस डेटा.
  • यह डेटा हाई-स्पीड नेटवर्क के जरिए सेंटर्स में आता है, जो फाइबर ऑप्टिक केबल्स से जुड़े होते हैं.
  • फिर कोर पार्ट आता है, यानी हजारों सर्वर रैक्स, जहां GPU या TPU चिप्स लगहे होते हैं.
  • यह चिप्स पैरेलल प्रोसेसिंग करते हैं, मतलब एक साथ लाखों कैलकुलेशन करते हैं.
  • यह प्रोसेस दो स्टेज में होती है, ट्रेनिंग, जहां मॉडल को पुराना डेटा दिखाकर सिखाया जाता है और इंफरेंस, जहां रियल-टाइम में नई क्वेरी का जवाब दिया जाता है.
  • यानी जब आप Google सर्च में AI से स्मार्ट सजेशन लेते हैं, तो वो बैकग्राउंड में ऐसे सेंटर से आता है, जहां सेकंड्स में डेटा प्रोसेस हो जाता है.

सवाल 3- भारत में मौजूदा AI सेंटर्स की स्थिति क्या है?जवाब- भारत में नवंबर 2025 तक करीब 150 ऑपरेशनल सेंटर्स हैं, जिनमें से ज्यादातर AI-रेडी हो चुके हैं या हो रहे हैं. कुल कैपेसिटी 1.7 गीगावॉट है, जो 23 मिलियन स्क्वायर फीट स्पेस कवर करती है. लेकिन AI फोकस्ड वाले अभी कम हैं, क्योंकि यह हाई-पावर डिमांड करते हैं यानी करीब 1 गीगावॉट AI-ऑप्टिमाइज्ड है.

  • देश में अभी मेन ओनरशिप भारतीय कांग्लोमरेट्स और ग्लोबल हाइपरस्केलर्स के पास है.
  • टाटा कम्युनिकेशंस और TCS के पास मुंबई, बैंगलोर, चेन्नई और दिल्ली में 400 मेगावॉट कैपिसिटी वाले 13 सेंटर्स हैं.
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज (जियो के जरिए) के पास गुजरात के जामनगर में 1 GW AI सेंटर है.
  • अडाणी ग्रुप का अडानीकॉनैक्स के पास चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और पुणे में 40 MW के ऑपरेशनल AI डेटा सेंटर है.
  • भारती एयरटेल का नक्सट्रा चेन्नई और दिल्ली-NCR में 400 MW कैपेसिटी के साथ 15% मार्केट शेयर रखता है.

इन के अलावा NTT GDC (20% शेयर, 30 सेंटर्स), STT GDC (19%), सिफी (19%), कंट्रोलएस (250 MW से ज्यादा) और योत्ता (175 MW) हैं. लोकेशन्स में मुंबई-चेन्नई 70% कैपेसिटी कंट्रोल करते हैं, क्योंकि यहां अंडरसी केबल्स हैं. दिल्ली-NCR, हैदराबाद, पुणे उभरते हब हैं. गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और AWS जैसे हाइपरस्केलर्स 60% कंजम्प्शन करते हैं. यह सब डिजिटल इंडिया को सपोर्ट करते हैं, जहां हर महीने का डेटा कंजम्प्शन 25 एक्साबाइट्स पहुंच चुका है.

 

गुजरात में स्थित रिलायंस का डेटा सेंटर

सवाल 4- भारत में AI डेटा सेंटर्स का खेल क्या है और कैसे बढ़ता जा रहा है?जवाब- टेक एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत में AI डेटा सेंटर्स का खेल आजकल सबसे हॉट टॉपिक है, जहां टाटा, रिलायंस, अडाणी और एयरटेल जैसे देश के सबसे बड़े बिजनेस घराने अरबों डॉलर का दांव लगाकर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं. यह भारत को दुनिया का अगला AI सुपरपॉवर बनाने वाली रेस है. लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है. फिर भी 2025 के अंत तक यह सेक्टर 10 बिलियन डॉलर का हो चुका है. 2030 तक 42% की एनुअल ग्रोथ के साथ 27 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

CRISIL की रिपोर्ट के मुताबिक, FY28 तक सेक्टर की सालाना कमाई 20,000 करोड़ रुपए हो जाएगी और FY26-28 के बीच 55,000-65,000 करोड़ रुपए का कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) लगेगा. Jefferies की सितंबर 2025 की रिपोर्ट कहती है कि भारत की कुल डेटा सेंटर कैपेसिटी अभी 1 GW है, जो 2030 तक 8-9 GW हो जाएगी. 

हाइपरस्केलर्स जैसे गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, AWS 60% डिमांड कंट्रोल करते हैं, जबकि BFSI सेक्टर 17% योगदान देता है। सरकार की ड्राफ्ट नेशनल डेटा सेंटर पॉलिसी 2025 से 20 साल की टैक्स छूट मिल रही है, जो इन्वेस्टर्स को लुभा रही है। मुंबई और चेन्नई 70% कैपेसिटी हैंडल करते हैं, लेकिन विशाखापट्टनम (विजाग) जैसी जगहें नया हॉटस्पॉट बन रही हैं. कुल मिलाकर, ये खेल भारत की डिजिटल इकोनॉमी को 1 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने का इंजन है, जहां AI मार्केट 2027 तक 22 बिलियन डॉलर का हो जाएगा.

सवाल 5- इस खेल के बड़े प्लेयर्स कौन हैं?जवाब- AI डेटा सेंटर्स की मार्केट रेस में सबसे आगे टाटा, रिलायंस और अडाणी मिलकर 2030 तक 35-40% कैपेसिटी कंट्रोल करेंगे. यह तीनों कंपनियां न सिर्फ AI-रेडी सेंटर्स बना रही हैं, बल्कि Nvidia चिप्स, ग्रीन एनर्जी और सबसी कनेक्टिविटी पर फोकस कर रही हैं. यह सिर्फ इन्वेस्टमेंट का खेल नहीं, बल्कि लाखों जॉब्स क्रिएट करेंगे, GDP को 10-15% बूस्ट देंगे और भारत को ग्लोबल AI हब बनाएंगे.

5G और क्लाउड से डेटा कंजम्प्शन 25 एक्साबाइट्स प्रति महीना पहुंच चुका है. 2030 तक AI से पावर डिमांड 2.6% इलेक्ट्रिसिटी यूज हो जाएगी. गवर्नमेंट सपोर्ट से आंध्र प्रदेश जैसे स्टेट्स इंसेंटिव्स दे रहे हैं. लेकिन 2030 तक 50 TWh पावर सप्लाई की एक्स्ट्रा डिमांड, वॉटर यूज और हाई कैपेक्स बड़ी चुनौतियां हैं, जिन्हें रिन्यूएबल एनर्जी से सॉल्व करने की कोशिश हो रही है.

1. टाटा का इन्वेस्टमेंट

  • TCS ने अक्टूबर 2025 में TPG के साथ जॉइंट वेंचर HyperVault AI Data Centre Ltd लॉन्च किया. इसमें 5-7 साल में 1 GW कैपेसिटी के लिए करीब 18,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा. नवंबर 2025 में TPG ने एक्स्ट्रा 1 बिलियन डॉलर ऐड किया. ये सेंटर्स AI-सॉवरेन डेटा पर फोकस के साथ मुंबई, बैंग्लुरु और चेन्नई जैसे हब्स में बनेंगे यानी भारत का डेटा भारत में ही रहेगा.
  • JV लिक्विड कूलिंग और ग्रीन एनर्जी पर जोर देगा, जो AI की हाई हीट को मैनेज करेगा. टाटा पहले से 400 MW कैपेसिटी के साथ 13 सेंटर्स चला रहा है, लेकिन यu नया प्लान AI को नेक्स्ट लेवल ले जाएगा. यह इन्वेस्टमेंट TCS को US बिग टेक से आगे निकालने का मौका देगा, क्योंकि टाटा ग्रुप कुल 28 बिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट में से बड़ा हिस्सा लीड कर रहा है.

2. रिलायंस का इन्वेस्टमेंट

  • यह कंपनी सबसे आक्रामक प्लेयर है. रिलायंस ने जामनगर (गुजरात) में 20-30 बिलियन डॉलर इन्वेस्टमेंट के साथ 3 GW का मेगा AI सेंटर प्लान किया है, जो Nvidia AI चिप्स पर चलेगा. यह कैंपस 5,000 एकड़ में बनेगा, 6 GWp सोलर पावर से रन होगा और AI इंफरेंस को सस्ता बनाएगा. Jio के टेलीकॉम और क्लाउड से इंटीग्रेट होकर ये एशिया का सबसे बड़ा AI नेटवर्क बनेगा.
  • नवंबर 2025 में रिलायंस का JV Digital Connexion (Brookfield और Digital Realty के साथ) ने विशाखापट्टनम में 11 बिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट का ऐलान किया. यह प्रोजेक्ट 2030 तक आंध्र प्रदेश में पूरा होगा, जिसकी कैपेसिटी 1 GW होगी. यह 11 बिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट भारत के AI सप्लाई चेन को शेप देगा, डेटा सेंटर्स, क्लाउड और एज कंप्यूटिंग को बूस्ट करेगा.

3. अडाणी ग्रुप का इन्वेस्टमेंट

  • गौतम अडाणी की कंपनी ने AI डिमांड के चलते अप्रैल 2025 में 10 बिलियन डॉलर एक्स्ट्रा इन्वेस्ट करने का ऐलान किया. AdaniConneX और JV के साथ 50-50 पार्टनरशिप पर चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और पुणे में 40 MW ऑपरेशनल है, जो 210 MW तक बढ़ेगा. महाराष्ट्र में पहले 50,000 करोड़ रुपए का प्लान था.
  • सबसे बड़ा धमाका अक्टूबर 2025 में गूगल के साथ मिलकर किया. 2030 तक विजाग में 15 बिलियन डॉलर का 1 GW AI कैंपस बनेगा, जो 100% रिन्यूएबल एनर्जी पर बेस्ड होगा. यह TPU/GPU बेस्ड होगा और करीब 2 लाख जॉब्स क्रिएट करेगा.

इस दौड़ में भारती एयरटेल भी पीछे नहीं है. Nxtra Data के पास 15% मार्केट शेयर है, 400 MW कैपेसिटी के लिए 15 बिलियन डॉलर का गूगल के साथ विजाग में डेटा सेंटर प्लान है.