पृथ्वी 4 परतों यानी लेयर्स से मिलकर बनी है, जिनमें इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और सबसे ऊपरी लेयर क्रस्ट है. इसी क्रस्ट में होती हैं टेक्टोनिक प्लेट्स, जिनके आपस में टकराने या अपनी जगह से खिसकने पर भूकंप आते हैं. 4.6 अरब साल पहले जब पृथ्वी बनी थी, तो इन्हीं प्लेटों की टक्कर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ बने, हिमालयन रेंज भी इन्हीं में से एक है. लेकिन अब भारत ने भूकंप का नया नक्शा जारी किया है, जिसमें हिमालयन रेंज की प्लेट्स 200 सालों से खिसकी तक नहीं है. यानी किसी भी समय बहुत बड़ा भूकंप आ सकता है. वहीं, देश की 75% आबादी नए डेंजर जोन VI में रह रही है. ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि भारत का नया भूकंप का नक्शे क्या है, कौन से बड़े बदलाव किए गए और आगे क्या होने वाला है...

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सवाल 1- भारत का नया भूकंप जोखिम नक्शा क्या है?जवाब- भारत सरकार की संस्था ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने नया भूकंप जोखिम नक्शा जारी किया है. ये नक्शा 'IS 1893 (Part 1): 2025' नाम के कोड का हिस्सा है और जनवरी 2025 से पूरे देश में लागू हो चुका है. इसका पूरा नाम 'सीस्मिक जोनेशन मैप' है, जो देश को भूकंप के खतरे के हिसाब से बांटता है. पुराना नक्शा 2002 का था, जो 2016 में थोड़ा अपडेट हुआ था, लेकिन अब ये नया नक्शा ज्यादा सटीक बनाया गया है. इसका मकसद नई बिल्डिंग्स, ब्रिज, हाईवे और बड़े प्रोजेक्ट्स को भूकंप से बचाना है, ताकि कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स भूकंप में न गिरें और जान-माल का नुकसान कम हो. BIS ने कहा है कि अब से सभी इंजीनियर्स को इस नए नक्शे का इस्तेमाल करना होगा.

सवाल 2- पुराने नक्शे के मुकाबले नया नक्शा कितना अलग है?जवाब- पहले भारत को चार मुख्य जोन्स में बांटा गया था...

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  • जोन II- कम खतरा
  • जोन III- मध्यम खतरा
  • जोन IV- ज्यादा खतरा
  • जोन V- सबसे ज्यादा खतरा

पहले जोन I भी था, लेकिन उसे जोन II में मिला दिया गया था. अब नया नक्शा भी इन्हीं चार जोन्स को रखता है, लेकिन सबसे ऊंचे खतरे वाले जोन V को और सख्ती से परिभाषित किया गया है. इसे अल्ट्रा-हाई रिस्क या जोन VI जैसा बताया गया है क्योंकि इसका खतरा पहले से भी ज्यादा माना जा रहा है. कुल मिलाकर, देश का 61% इलाका अब मध्यम से ऊंचे खतरे वाले जोन III से VI में आ गया है, जबकि पहले ये 59% था. वहीं, देश की 75% आबादी सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाके में रहती है. नए नक्शे में यह बदलाव प्रोबेबिलिस्टिक सीस्मिक हेजर्ड असेसमेंट (PSHA) तरीके से किया गया है, जो पुराने ऐतिहासिक डेटा से बेहतर है.

सवाल 3- नए नक्शे में हिमालय को लेकर सबसे बड़ा बदलाव क्या है?जवाब- सबसे बड़ा बदलाव हिमालय के पूरे इलाके में हुआ है, जिसे हिमालयन आर्क कहते हैं. पहले हिमालय का कुछ हिस्सा जोन IV में था और कुछ जोन V में, लेकिन अब कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश तक का सारा पहाड़ी इलाका एक ही सबसे ऊंचे खतरे वाले जोन VI में डाल दिया है. वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर विनीत गहलौत ने कहा है कि पुराना नक्शा हिमालय के लॉक सेगमेंट्स को ठीक से नहीं समझता था, जहां 200 साल से तनाव जमा हो रहा है. अब ये नक्शा फॉल्ट लाइंस, मैग्निट्यूड और मिट्टी के प्रकार को देखकर बना है, इसलिए हिमालय के आसपास के मैदानी इलाके जैसे देहरादुन, हरिद्वार भी ज्यादा सतर्क रहेंगे.

सवाल 4- हिमालय में ऐसा क्यों किया गया, जबकि वहां पहले भी भूकंप आते थे?जवाब- हां, भूकंप आते थे, लेकिन नई रिसर्च से पता चला कि हिमालय के नीचे इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट आपस में टकरा रही हैं और कई जगह प्लेट्स 200 साल से लॉक हो चुकी हैं. लॉक का मतलब है कि वो हिल नहीं पा रही, इसलिए वहां बहुत ज्यादा ताकत जमा हो रही है. जब ये लॉक खुलेगा, तो 8 या उससे ज्यादा तीव्रता का भूकंप आ सकता है. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) और नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) की रिपोर्ट्स कहती हैं कि हिमालय में अगला बड़ा भूकंप कहीं भी आ सकता है. इस वजह से BIS ने पूरे हिमालय को एक ही जोन VI में डाल दिया है कि बिल्डिंग्स को सबसे मजबूत डिजाइन मिले, जो ज्यादा पीक ग्राउंड एक्सेलरेशन (PGA) को झेल सकें.

 

हिमालयन रेंज की लंबाई लगभग 2,400 से 2,500 किलोमीटर है.

सवाल 5- क्या नए नक्शे में दक्षिण भारत खतरे बाहर है?जवाब- दक्षिण भारत में बहुत कम बदलाव है क्योंकि वहां की जमीन (पेनिनसुलर इंडिया) बहुत पुरानी और स्थिर है. वहां की टेक्टॉनिक प्लेट्स ज्यादा एक्टिव नहीं हैं. तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल का ज्यादातर हिस्सा अभी भी जोन II या III में ही है, यानी कम या मध्यम खतरा. नए नक्शे से वहां बिल्डिंग्स थोड़ी मजबूत बनेगी, लेकिन हिमालय वाले जोन VI जितनी सख्त नहीं. हालांकि, कुछ तटीय इलाकों में लिक्विफैक्शन (मिट्टी का गलना) का खतरा देखा गया है.

सवाल 6- नया नक्शा कितना भरोसेमंद है?जवाब- ये अब तक का सबसे भरोसेमंद नक्शा है. BIS ने इसे 10 साल की रिसर्च के बाद बनाया, जिसमें वाडिया इंस्टीट्यूट, NCS और इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स शामिल थे. पुराना नक्शा सिर्फ पुराने भूकंपों (जैसे 2001 भुज, 2015 नेपाल) पर आधारित था, लेकिन नया PSHA मेथड से बना है. इसमें GPS डेटा, सैटेलाइट इमेजरी, एक्टिव फॉल्ट्स और लाखों सिमुलेशन शामिल हैं. यह तरीका जापान और न्यूजीलैंड जैसे देशों में इस्तेमाल होता है. नतीजतन अब खतरे का अनुमान 2.5% प्रोबेबिलिटी इन 50 इयर्स के हिसाब से है, जो ज्यादा सटीक है.

सवाल 7- तो क्या अब हम भूकंप से पूरी तरह सुरक्षित हो जाएंगे?जवाब- एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पूरी तरह सुरक्षित तो कोई नहीं हो सकता, लेकिन नुकसान 80-90% तक कम हो जाएगा. पहले जोन IV-V में बनी कमजोर बिल्डिंग्स गिर जाती थीं, लेकिन नए नियमों से बिल्डिंग्स न तो हिलेंगी, न ही गिरेंगी. 61% इलाके में अब सख्त डिजाइन होगा और 75% आबादी को फायदा मिलेगा. NDMA की रिपोर्ट कहती है कि अगर हम पुरानी बिल्डिंग्स को भी अपडेट करें, तो भविष्य के भूकंपों में मौतें बहुत कम होंगी.

सवाल 8- भारत में सबसे बड़ा और खतरनाक भूकंप कब आया था?जवाब- भारत में अभी तक 3 सबसे बड़े भूकंप आ चुके हैं...

  • 2004 में भूकंप और सुनामी से अंडमान का इंदिरा पॉइंट डूबा: 26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी की वजह से अंडमान-निकोबार आइलैंड का इंदिरा पॉइंट डूब गया था. इस भूकंप ने भारत, श्रीलंका और इंडोनेशिया समेत 14 देशों में तबाही मचाई थी. इस भूकंप से उठी सुनामी ने इंदिरा पॉइंट की ऊंचाई करीब 4.24 मीटर कम कर दी थी. इस आपदा में करीब 1.7 लाख लोगों की मौत हुई थी.

 

इस भूकंप से उठी सुनामी ने इंदिरा पॉइंट की ऊंचाई करीब 4.24 मीटर कम कर दी थी.
  • 2001 में गुजरात के कच्छ में भूकंप से तबाही: 2001 में गुजरात में 6.9 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका असर गुजरात के 24 जिलों हुआ. इसने सबसे ज्यादा तबाही कच्छ, सुरेंद्रनगर और राधनपुर में की थी. इस भूकंप में 7,904 गांव तबाह हो गए थे. करीब 17 हजार लोगों की मौत और 1.67 लाख लोग घायल हुए थे. कच्छ जिले के भुज में तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और 90% घरों को नुकसान पहुंचा था.
  • 204 साल पहले भूकंप की वजह से भुज में बना टापू: 1819 में गुजरात के भुज में भूकंप से टापू बन गया था. इसे अल्लाह बंद नाम से जाना जाता है. इसकी तीव्रता का पता नहीं चला पाया, लेकिन माना जाता है कि 7.8 से ज्यादा तीव्रता के भूकंप आने पर इस तरह का टापू बना था.