नई दिल्ली: गुजरात के राजकोट इलाके से एक हिला देने वाली खबर सामने आई. एक कॉलेज में पढ़ाने वाले प्रोफेसर संदीप ने अपनी ही मां का कत्ल कर दिया. उसकी मां बीमार रहती थी और इसी वजह से परिवार में झगड़ा होता था. इसी झगड़े से परेशान होकर प्रोफेसर ने अपनी मां को छत से फेंक दिया. उसकी मां एक टीचर रही थी और जब तक वह स्वस्थ थी सब सही था लेकिन बढ़ती उम्र पर भला किसका बस चलता है. वह बीमार रहने लगीं और परिवार का कोई सदस्य उनकी सेवा नहीं करना चाहता था. ऐसे में बेटा ही मां का कातिल बन गया.


मनोचिकित्सक क्या कहते हैं
दिल्ली के मनोचिकित्सक अनुनीत सबरवाल कहते हैं कि यकीनन वह शख्स (प्रोफेसर संदीप) किसी मानसिक उथल-पुथल से गुजर रहा था. गुस्से में हत्या कर देना अलग बात होती है लेकिन जिस तरह सोच समझ कर हत्या की गई उससे लगता है कि या तो संदीप बुरी तरह से फ्रस्टेट था, निराश और हताश था और ऐसे में उसे हत्या सही विकल्प लगा या फिर उसे लगा कि ऐसा करके वह अपनी मां को मुक्ति दिला रहा है.


गुमनाम चिट्ठी ने पुलिस को दिखाई राह
राजकोट पुलिस इस मामले को बंद कर देती अगर एक गुमनाम चिट्ठी उसे ना मिलती. इस चिट्ठी में संदीप की पूरी करतूत लिखी थी और ये भी बताया गया था कि पुलिस को सुबूत कहां से मिलेंगे. इसी चिट्ठी के आधार पर पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली और फिर साफ हो गया कि जयश्रीबेन नथवाणी का कतिल उनका अपना सगा बेटा है.


सीसीटीवी बना सुबूत
पुलिस के सामने सबसे बड़ा सुबूत था सीसीटीवी फुटेज. इस फुटेज में साफ साफ दिख रहा था कि किस तरह संदीप अपनी मां को छत पर ले गया और वहां से धक्का दे दिया. धक्का एक ऐसी जगह से दिया गया था जहां तक पहुंचना किसी बुजुर्ग के लिए नामुमकिन था. पुलिस ने संदीप से पूछा कि उसकी मां वहां तक कैसे पहुंची लेकिन संदीप के पास कोई जवाब नहीं था. वह पुलिस को गुमराह कर रहा था लेकिन उसकी बातों ने उसे फंसा दिया.


बुजुर्गों की उपेक्षा के मामले
बुजुर्गों की उपेक्षा का यह कोई पहला मामला नहीं है. पिछले दिनों कई सीसीटीवी फुटेज वायरल हुईं. एक वीडियो में दिख रहा था कि बहू किस तरह अपनी सास को पीट रही है और तकिये से हत्या करने का प्रयास कर रही है. एक अन्य वीडियो भी था जिसमें एक महिला अपने ससुर को डंडे और पैरों से पीटती हुई दिख रही थी. इस तरह के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है, या फिर यूं कहें कि अब वीडियो सामने आने लगे हैं. पिछले साल ही एक ऐसा मामला सामने आया था जिसमें एक बुजुर्ग महिला अपने फ्लैट में मृत पाई गई थी क्योंकि उसका बेटा विदेश में था और उसने अपनी मां की खबर लेना तक जरूरी नहीं समझा.


बिखरते परिवार
भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारे पास अक्सर अपने माता-पिता के लिए, बच्चों के लिए भी वक्त नहीं होता. लेकिन सोचिए जरा ऐसी तरक्की और ऐसा पैसा भला किस काम का जहां हमारे अपने ही हमारे पास ना हों. पुलिस का सामना अक्सर ऐसी घटनाओं से होता है. उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ आईपीएस नवनीत सिकेरा अपनी फेसबुक वॉल पर अक्सर इस मुद्दे पर लिखते रहे हैं. उन्होंने ऐसे कई मामले कहानी की शक्ल में भी लिखे हैं. सिकेरा ने नए साल वाले दिन भी फेसबुक पर लिखा था- आज के दिन अपने मां-बाप को गले लगाना मत भूलिएगा.


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