नई दिल्ली: गुड़गांव के फोर्टिस अस्पताल पर हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने केस दर्ज करा दिया है. हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है. उन्होंने लिखा है कि सुशांत लोक थाने में यह FIR दर्ज की गई है.


अस्पताल में कुछ दिनों पहले सात वर्षीय आद्या की मौत डेंगू के कारण हुई थी और अस्पताल ने इलाज के नाम पर परिवार को 16 लाख रुपये का बिल थमा दिया था. इसके बाद से ही देश भर में आक्रोश देखा जा रहा था.



हरियाणा सरकार की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इलाज के नाम फोर्टिस अस्पताल ने कई दवाओं में 1737 फीसदी तक का मुनाफा खाया. जबकि काम में ली गई कुछ दवाओं में 108 फीसदी तक लाभ कमाया. अस्पताल में जेनेरिक दवाएं मौजूद थीं, इसके बावजूद ब्रांडेड दवाओं का इस्तेमाल किया गया.


आद्या के पिता जयंत सिंह का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें 25 लाख रुपये की रिश्वत देने की कोशिश भी की. मंत्री अनिल विज ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल ने ना केवल आइएमए, एमसीआई नियमों का उल्लघंन किया है बल्कि उपचार के प्रोटोकॉल की भी अनदेखी की गई है.


- बच्ची को 31 अगस्त से 14 सितंबर तक गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल के बाल आईसीयू में दाखिल करवाया गया था.
- बच्ची के उपचार में जेनेरिक और सस्ती दवाइयों की बजाय अस्पताल ने जानबूझ कर महंगी दवाइयों का प्रयोग किया.
- अस्पताल को डेंगू मरीज संबंधी जानकारी स्थानीय सरकारी नागरिक अस्पताल को देनी होती है लेकिन फोर्टिस ने ऐसा नहीं किया.
- अस्पताल ने मरीज को 25 बार प्लेटलेस चढ़ाए, इसमें भी अतिरिक्त बिल बनाया गया.
- बच्ची के अभिभावक उसे दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहते थे. इस दौरान भी अस्पताल की तरफ से घोर अनियमितताएं सामने आईं.
- बच्ची के अभिभावकों ने बताया कि सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी तौर पर खुद ही कर लिए थे.
- बच्ची की मां ने कहा कि मौत के बाद जिस कपड़े में शव को लपेट कर दिया गया उसका पैसा भी फोर्टिस अस्पताल ने वसूला है.