नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में इजाफा हुआ है. अदालत ने शहर में और अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाने और अंधेरे वाली जगहों पर लाइट की व्यवस्था करने में तेजी लाने पर जोर दिया.


सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने की स्थिति के संबंध में ताजा जानकारी मांगी


न्यायमूर्ति बी. डी. अहमद और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की पीठ ने शहर में, खासकर थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने की स्थिति के संबंध में ताजा जानकारी मांगी. इससे पहले दिल्ली सरकार ने कहा था कि कैमरे लगाने के प्रस्ताव को केंद्र की ओर से इस आधार पर मंजूरी नहीं मिली है कि यह लैंगिक दृष्टि से तटस्थ प्रस्ताव है और महिला केंद्रित नहीं है.


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राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई


पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थाई सचिव अनुज अग्रवाल की दलील का गृह मंत्रालय के अधिवक्ता ने विरोध किया. कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का मुद्दा उनकी फीड की साझेदारी के मुद्दे के चलते दरकिनार कर दिया गया.


दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों को शामिल किया जाना चाहिए


जब दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि महिला सुरक्षा पर विशेष कार्यबल में दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें केवल नौकरशाह हैं. इस पर अग्रवाल ने कहा कि सरकार नौकरशाह ही चलाते हैं.


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नीति संबंधी निर्णय चुने हुए जनप्रतिनिधि लेते हैं और नौकरशाह नहीं


सरकारी वकील के विचार से असहमति जताते हुए पीठ ने कहा, ‘क्या आप यह कहने का प्रयास कर रहे हैं कि नौकरशाह ही सरकार को चलाते हैं? कभी नहीं. नीति संबंधी निर्णय चुने हुए जनप्रतिनिधि लेते हैं और नौकरशाह उनका क्रियान्वयन करते हैं.’ सीसीटीवी की कमी का मुद्दा वकील मीरा भाटिया और दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने उठाया.