भोपाल: भोपाल में एक छात्रा के साथ बलात्कार हुआ. मामले में तीन आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं जबकि चौथे की तलाश जारी है. कुछ पुलिसवालों पर भी गाज गिरी है. लेकिन इन सबके बीच मध्य प्रदेश और पूरे भोपाल में दर्द की एक लहर दौड़ गई है. जनता दुखी और आक्रोशित है और सोशल मीडिया पर ये साफ दिख रहा है.
जवाब दो सरकार: जनता शिवराज सरकार से सवाल पूछ रही है और सरकार के पास बेटियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस जवाब नहीं है. महिला थाने में पिछले दो महीने में 92 युवतियों ने छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज कराई लेकिन केवल 7 मामलों में ही एफआईआर हो पाई.
नशेडियों ने दिया वारदात को अंजाम: भोपाल गैंगरेप के आरोपी रेलवे पटरियों पर अक्सर दिखने वाले नशेड़ी हैं. पिछले एक साल में भोपाल रेलवे स्टेशन पर साढ़े तीन हजार से अधिक नशेड़ियों को पकड़ा गया लेकिन मामूली जुर्माने के बाद छोड़ दिया गया. गैंगरेप के मुख्य आरोपी गोलू को भी पकड़ा गया था और उसका पुलिस रिकॉर्ड भी था.
सीमा विवाद में उलझाया गया: पीड़ित छात्रा के माता-पिता दोनों ही पुलिस में हैं लेकिन फिर भी 11 घंटे तक सीमा विवाद में उन्हें उलझाया गया. उन्हें एक थाने से दूसरे थाने दौड़ाते रहे. इससे साफ है कि मध्य प्रदेश में पुलिस किस तरह अपना काम करती है.
पास में ही है थाना: एक रिपोर्ट के मुताबिक ये वारदात जिस जगह हुई वहां से रेवलवे पुलिस का थाना 100 मीटर की दूरी पर है और पहुंचने में दो मिनट से भी कम का वक्त लगता है. पुलिस थाने के आस पास इस तरह की वारदात का होना गंभीर सवाल खड़े करता है.
करती रही संघर्ष: लड़की ने पुलिस को जो बयान दिया है उसके मुताबिक अमर और गोलू से वह बेहोश होने तक संघर्ष करती रही. करीब आधे घंटे तक वह दोनों के साथ लड़ती रही लेकिन अंत में वह हार गई. बदमाशों के उसके हाथ बांध दिए. इसके बाद लड़की बेहोश हो गई.
निर्दोष को उठा लाई पुलिस: आरोपियों की गिरफ्तारी का दवाब पुलिस पर बना तो जीआरपी एक निर्दोष को घर से उठा ले गई. दो दिन तक उसे थाने में रखा गया और मारपीट भी की गई लेकिन बाद में पता चला कि रमेश की जगह राजेश को ले आया गया है.