Atiq Ahmad: एक समय यूपी के पूर्वांचल में बाहुबली माफिया अतीक अहमद का जबरदस्त खौफ था. हाल ही में प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड मामले के बाद से अतीक एक बार फिर से चर्चा में है. अतीक अमहद पर योगी सरकार कठोर कार्रवाई में जुट गई है. गुजरात की साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद ने ही उमेश पाल की हत्या की पूरी योजना बनाई थी और हत्या का मुख्य आरोपी है. इसकी पूछताछ के लिए अतीक को यूपी लाने की भी तैयारी हो रही है. अतीक के एनकाउंटर का डर भी उसके परिवार को सता रहा है. 100 से अधिक दर्ज मुकदमों वाला अपराधी इन दिनों खौफ में जी रहा है. पिछले 6 सालों से जेल में बंद अतीक ने एक जमाने में अपने माफिया गुरु चांद बाबा को मौत के घाट उतार दिया था. आइये जानते हैं अतीक के अपराध की पूरी कहानी.


अपराध की दुनिया में ऐसे रखा कदम
साल 1979 में इलाहाबाद (प्रयागराज) के चकिया में रहने वाला अतीक हाईस्कूल में फेल हुआ था. 17 वर्षीय अतीक के पिता फिरोज अहमद तांगा चलाकर परिवार का भरण पोषण करते थे. इस दौरान बदमाशों की संगत में पड़े अतीक पर जल्दी अमीर बनने की सनक सवार हो गई. जिसके बाद वह लूट, किडनैपिंग और रंगदारी वसूलने जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा. साल 1979 में अतीक अहमद पर सबसे पहला मुकदमा हत्या का दर्ज हुआ था. इसके बाद से अतीक के खिलाफ लगभग 100 से अधिक केस दर्ज हैं, इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे संगीन अपराध शामिल हैं. साल 1989 में इलाहाबाद के शौक इलाही उर्फ चांद बाबा की हत्या, नस्सन की 2002 में हत्या, 2004 में बीजेपी नेता अशरफ की हत्या और 2005 में बसपा पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या का आरोप भी लगा.


शौक इलाही उर्फ चांद बाबा का खौफ
इलाहाबाद (प्रयागराज) के पुराने शहर में माफिया शौक इलाही उर्फ चांद बाबा का दबदबा हुआ करता था. पुलिस से लेकर राजनेता तक चांद बाबा से खौफ खाते थे. इसी बीच अतीक अहमद को दोनों का साथ मिला और देखते ही देखते 7 सालों में चांद बाबा से भी ज्यादा खतरनाक अतीक हो गया था. एक समय अतीक को पुलिस ने संरक्षण दे रखा था, लेकिन बाद में वही पुलिस की आंखों में खटकने लगा था. साल 1986 में पुलिस ने अतीक को गिरफ्तार किया था. लेकिन, अपनी ऊपर की पहुंच के चलते अतीक जेल से बाहर हो गया था. तब तक अपराध की दुनिया में अतीक का बड़ा नाम हो चुका था.


चांद बाबा की हत्या
साल 1989 में राजनीति में उतरते ही अतीक ने इलाहबाद की पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया और उसका मुकाबला चांद बाबा से होता है. अपनी दहशत की वजह से अतीक ने चुनाव जीता. इसके कुछ ही महीनों के बाद फिल्मी स्टाइल में दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या बीच चौराहे पर कर दी गई. चांद बाबा हत्याकांड में अतीक अहमद का नाम सामने आया. इसके बाद से पूरे पूर्वांचल में अतीक के नाम का डंका बजने लगा था. अतीक का खौफ इतना ज्यादा बढ़ गया कि इलाहाबाद की शहर पश्चिमी सीट से कोई नेता चुनाव लड़ने को तैयार नहीं होता था. पार्टियों के टिकट देने के बावजूद नेता उसे वापस कर दिया करते थे.


अतीक अहमद पर आपराधिक मामले 
वर्तमान में माफिया अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. इन मामलों में हत्या, हत्या का प्रयास, किडनैपिंग, रंगदारी जैसी वारदातों को अंजाम देना जैसे मामले हैं. साल 1989 में चांद बाबा की हत्या, साल 2002 में नस्सन की हत्या, साल 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी बीजेपी नेता अशरफ की हत्या और साल 2005 में राजू पाल की हत्या जैसे बड़े आरोप में अतीक का नाम शामिल है.


गैर कानूनी संपत्तियों पर कार्रवाई
यूपी में योगी सरकार के आने के बाद से अतीक अहमद की 1600 करोड़ रुपये से ज्यादा की गैर कानूनी संपत्तियों पर कार्रवाई की जा चुकी है. इसके अलावा, अतीक का माफिया नेटवर्क भी काफी हद तक टूट चुका है. वहीं, हत्या के मामले में अतीक का भाई अशरफ भी जेल में बंद है. अतीक के चार बेटों में से एक बेटा जेल में बंद है.


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