Pankaj Tripahti Movie Sherdil Review : पंकज त्रिपाठी की फिल्म जब हम देखते हैं तो ये उम्मीद नहीं होती कि फिल्म अच्छी होगी या बुरी, क्योंकि पता होता कि पंकज त्रिपाठी हैं तो कुछ अच्छा ही होगा. उम्मीद ये जरूर होती है कि इस बार क्या नया होगा और अपने किरदार को पंकज त्रिपाठी ने कैसे निभाया होगा. 'शेरदिल' (Sherdil) भी एक ऐसी ही शेर दिल वाली फिल्म है.


कहानी...
कहानी है झुंडाव गांव के सरपंच गंगाराम की. इस गांव के लोग फसल बर्बाद होने से परेशान हैं.सरकारी योजनाओं का भी कोई फायदा नहीं मिल रहा.ऐसे में गंगाराम को एक सरकारी योजना का पता चलता है कि अगर जंगल में किसी को बाघ मार दे तो उसके परिवार को मुआवजा मिलता है. ये कहानी 2017 में पीलीभीत में हुई इसी तरह की सच्ची घटनाओं पर आधारित है. कहानी दिल को छू लेने वाली है और सवाल उठाती है कि क्या हम ऐसे दौर में जी रहे हैं कि परिवार का पेट पालने के लिए परिवार के ही किसी मेंबर की कुर्बानी देनी होगी.


एक्टिंग ...
गंगाराम के किरदार में पंकज त्रिपाठी लाजवाब हैं...बेमिसाल हैं...पंकज त्रिपाठी अब ऐसे एक्टर बन चुके हैं जिनकी एक्टिंग को रिव्यू नहीं किया जा सकता. उन्होंने इस किरदार को ऐसे जिया है कि आपको गंगाराम से प्यार हो जाता है.गंगाराम इतना मासूम है कि आप हैरान होते हैं कि ऐसे लोग आज भी होते हैं.हर भाव को पंकज त्रिपाठी ने कमाल तरीके से निभाया है.अगर आप पंकज त्रिपाठी के फैन हैं तो आप ये फिल्म हर हाल में देखिए.


पंकज त्रिपाठी की पत्नी के किरदार में सयानी गुप्ता हैं.हो सकता है कुछ लोगों को उनकी एक्टिंग ओवर द टॉप लगे लेकिन, ये किरदार ही ऐसी पत्नी का है जिसका पति उसके आगे ज्यादा नहीं बोल पाता.मुझे सयानी गुप्ता की अदाकारी लाजवाब लगी.नीरज काबी ने शिकारी का किरदार निभाया है और उन्होंने लाजवाब काम किया है. पंकज त्रिपाठी और नीरज काबी के बीच के सीन फिल्म की जान हैं.






फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा स्लो है फिल्म मुद्दे पर आने में वक्त लेती है और यही इस फिल्म की इकलौती कमी है.हालांकि निर्देशक सृजित मुखर्जी का ये कहानी कहने का अंदाज भी है और मुझे ये अंदाज पसंद आया और पंकज त्रिपाठी के फैंस को कहानी का स्लो मोशन में चलना अच्छा लगेगा.सेकेंड हाफ में फिल्म पेस पकड़ती है और अंत मे कई सवाल छोड़ जाती है.


फिल्म के गाने शानदार हैं..फूलों की लाशों में ताजगी चाहता है, आदमी भूतिया है कुछ भी चाहता है. ये गाना जब आता है तो कमाल लगता है. फिल्म के सिनेमैटोग्राफी काफी अच्छी है.जंगल की खूबसूरती को बखूबी दिखाया गया है. ये एक मसाला एंटरेटेनर टाइप की फिल्म भले नहीं है लेकिन, फिल्म आपको खुद से जोड़ लेती है.पंकज त्रिपाठी फिल्म की जान है और अगर आप पंकज त्रिपाठी के सिनेमा के फैन हैं और अच्छे सिनेमा के शौकीन हैं तो जरूर देख सकते हैं शेरदिल..मजा आएगा.