Darjeeling Tourist Destinations: पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग भारत के सबसे फेमस हिल स्टेशनों में से एक है. टूरिस्ट के बीच इस डेस्टिनेशन की काफी डिमांड है. यह जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और मानव निर्मित कलामयी रचना के लिए काफी प्रसिद्ध है. दार्जिलिंग अपने द्वारा उगाई जाने वाली चाय और पहाड़ों की कंचनजंगा पहाड़ी के शानदार नजारे के लिए दुनियाभर में फेमस है. इसके अलावा, टॉय ट्रेन की सैर टूरिस्ट के लिए हमेशा से यहां एक एक्साइटिंग चीज़ रही है. दार्जिलिंग में घूमने के लिए काफी कुछ है. यह जगह इतनी खूबसूरत है कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में टूरिस्ट इस जगह के दीदार के लिए आते हैं. अगर आप भी दार्जिलिंग की ट्रिप के लिए सोच रहे हैं तो हम बता दें कि यह आपका एक अच्छा फैसला होगा. दार्जिलिंग में आपको कई तरह की चीज़ें अनुभव करने को मिलेंगी, जो आपकी ट्रिप को एक यादगार ट्रिप बना देंगी. आइए जानते हैं दार्जिलिंग के टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स के बारे में.  

  


दार्जिलिंग के पॉपुलर टूरिस्ट स्पॉट्स


1. टाइगर हिल 


दार्जिलिंग-कुर्सियांग रेंज की सबसे ऊंची चोटी 'टाइगर हिल' एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट है. 8442 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये शिखर कंचनजंगा की चोटियों से सूर्योदय का एक अद्भुत नजारा पेश करता है. जब सूरज उगता है तो उसकी लालिमा बर्फ से ढकी चोटी पर बिखरकर गिरती है. इस नजारे को देखने के लिए कई बार लोग सुबह के समय यहां जुट जाते हैं. अगर आप दूर से देखेंगे तो आसमान साफ होने पर आपको माउंट एवरेस्ट भी दिखाई दे सकता है. टाइगर हिल दार्जिलिंग के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है. सूर्योदय देखने के लिए आपको सुबह 4 बजे उठकर तैयारी करनी होगी. क्योंकि सुबह होने से पहले ही शिखर के आसपास टूरिस्ट की गाड़ियों की कतार लग जाती है और सूर्योदय का समय करीब आते-आते भीड़ और ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए पहले वहां पहुंचना आपके लिए बेहतर होगा.




2. दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे


एक प्रसिद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे (DHR) भारत के तीन पर्वतीय रेलवे में सबसे पुराना है. बाकी दो पर्वतीय रेलवे तमिलनाडु में नीलगिरी माउंटेन रेलवे और हिमाचल प्रदेश में कालका शिमला रेलवे हैं. इसका निर्माण 1879 और 1881 के दौरान दार्जिलिंग की पहाड़ियों को मैदानी इलाकों से जोड़ने के लिए किया गया था. डीएचआर 2 फीट गेज ट्रैक पर चलता है . इसे टॉय ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है. न्यू जलपाईगुड़ी से दार्जिलिंग तक करीब 88 किमी लंबा ट्रैक शानदार लूप्स और जिगजैग रिवर्स से गुजरता है. ये दार्जिलिंग हिमालयी पहाड़ी इलाके के माध्यम से करीब 7 घंटे का ट्रेन टूर है. यहां पर 7407 फीट की ऊंचाई पर स्थित भारत के सबसे ऊंचे रेलवे स्टेशन घुम और दार्जिलिंग के बीच 2 घंटे की जॉय राइड भी प्रदान की जाती हैं. ट्रेन घूम में लगभग 30 मिनट के लिए रुकती है.




3. वेधशाला हिल


ऑब्जर्वेटरी हिल दार्जिलिंग के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर का घर है. इसे हिंदुओं के साथ-साथ बौद्ध लोग भी पवित्र मानते हैं. मंदिर में भक्त महाकाल की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि दार्जिलिंग में सबसे पुराना मठ 'भूटिया बस्ती मठ' पहली बार 1765 में ऑब्जर्वेटरी हिल के ऊपर बनाया गया था. मठ को बाद में भूटिया बस्ती में तब्दील कर दिया गया. धर्मस्थल के अलावा कंचनजंगा व्यू पॉइंट भी यहां का मेन अट्रैक्शन प्वाइंट है. आसमान साफ होने पर यह कंचनजंगा की चोटियों के मनोरम नजारे को पेश करता है. आप मॉल रोड से पहाड़ी की चोटी तक पहुंच सकते हैं. यह लगभग 15-20 मिनट की चढाई है.




4. दार्जिलिंग रॉक गार्डन


हरी-भरी घाटी में स्थित बारबोटी रॉक गार्डन दार्जिलिंग से करीब 10 किलोमीटर दूर है. यह सुरम्य नजारों से भरा हुआ है, जिसमें एक प्राकृतिक सुंदर झरना और कई फूल वाले पौधे हैं. इस सीढ़ीदार रॉक गार्डन के अलग-अलग स्पॉट पर बैठने की जगह है. आप आराम कर सकते हैं और प्राकृतिक सुंदरता को निहार सकते हैं. नेचर लवर्स के लिए ये जगह बेशक एक अच्छा टूरिस्ट स्पॉट है, जिसे उन्हें कभी-भी मिस नहीं करना चाहिए. आप गंगा माया पार्क भी जा सकते हैं जो रॉक गार्डन से 3 किमी नीचे स्थित है. शांति भरे वातावरण के अलावा यहां की खूबसूरत झील में पैडल बोटिंग का लुत्फ भी उठाया जा सकता है.


5. बतासिया लूप


'घूम' रेलवे स्टेशन के ठीक नीचे स्थित बतासिया लूप, सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के रास्ते पर एक ट्रेन का पड़ाव है. लूप के चारों ओर टॉय ट्रेन को घूमते देखना एक शानदार अनुभव है. बतासिया लूप के सेंटर में एक बगीचे से घिरा गोरखा सैनिकों का युद्ध स्मारक है. अगर आप टॉय ट्रेन की सवारी नहीं करना चाहते तो दार्जिलिंग से कार द्वारा भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.




6. हैप्पी वैली टी एस्टेट


चौक बाजार से लगभग 3 किमी दूरी पर स्थित 'हैप्पी वैली टी एस्टेट' दार्जिलिंग का एक नजदीकी चाय बागान है. इसे 1854 में अंग्रेजों द्वारा विल्सन टी एस्टेट के रूप में स्थापित किया गया था. बाद में 1903 में एक बंगाली सज्जन तारापद बनर्जी ने इसकी चाय की संपत्ति को अपने कब्जे में कर लिया. 1929 में पड़ोसी चाय बागान में विलय के बाद इसका नाम बदलकर हैप्पी वैली टी एस्टेट कर दिया गया था. 6900 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये दुनिया के सबसे ऊंचे चाय बागानों में से एक है. इस चाय बागान की यात्रा से पत्तियों को तोड़ने से लेकर सुखाने तक चाय प्रसंस्करण की पूरी प्रक्रिया के बारे में जानने का मौका मिलता है. चाय के शौकीनों के लिए यह जगह दार्जिलिंग के सबसे अच्छे टूरिस्ट स्पॉट में से एक है. 



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