नई दिल्ली: हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल माघ महीने में शुक्ल की पंचमी को विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की उपासना होती है. इस पर्व को आम भाषा में वसंत पंचमी कहा जाता है. इस साल 22 जनवरी यानी आज इस त्योहार को मनाया जा रहा है. वसंत पंचमी के साथ ही बसंत ऋतु भी प्रारंभ होती है. क्या है महत्व हिंदू मान्‍यताओ के अनुसार इस दिन देवी सरस्‍वती का जन्‍म हुआ था इसलिए हिंदुओं की इस त्‍योहार में गहरी आस्‍था है. इस दिन पवित्र नदियों में स्‍नाना का विशेष महत्‍व है. पवित्र नदियों के तट और तीर्थ स्‍थानों पर बसंत मेला भी लगता है. पौराणिक मान्यता है कि जिन लोगों की कुंडली में विद्या और बुद्धि का योग नहीं होता है वह लोग वसंत पंचमी को मां सरस्वती को पूजा करके उस योग को ठीक कर सकते हैं. माना जाता है कि वसंत पंचमी के दिन ही मनुष्य को 'शब्द' की शक्ति प्राप्त हुई थी. आज के दिन लोग बच्चों को पहला अक्षर लिखना सिखाते हैं. वसंत पंचमी के दिन पितर तर्पण करने का भी विधान है. इसके साथ ही इस दिन कहीं कहीं कामदेव की पूजा की जाती है वसंत पंचमी के दिन सफेद और पीले रंग के कपड़े पहनना अच्छा होता है. इस दिन स्कूलों में गायन, वादन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है.लोग एक-दूसरे को पढ़ने लिखने का सामान गिफ्ट में देते हैं. वसंत पंचमी कैसे मनाएं मां सरस्वती की पूजा में सबसे पहले उनको आचमन और स्नान कराया जाता है. इसके बाद मां सरस्वती को सफेद या पीले फूल चढ़ाए जाते हैं. मां सरस्वती को श्रृंगार की वस्तुए भी अर्पित की जाती है. सिंदुर का इस्तेमाल रंग के रूप में होता है. क्यों खास है बसंत पंचमी बसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरंभ के लिए शुभ मानते हैं. इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए. माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है. 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है. अन्नप्राशन के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है. बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है. बसंत ऋतु प्रेम की मानी जाती है इसलिए परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है.