Teenage Depression: टीनऐज यानी किशोरावस्था किसी भी बच्चे की लाइफ का ऐसा समय होता, जिसमें बच्चे की पर्सनैलिटी का विकास (Personality development) होता है. इस उम्र में बच्चा बाहर की दुनिया के प्रति बहुत अधिक आकर्षित होता है. उसे लगता है कि अब वो बड़ा हो गया है और अपनी मनमर्जी कर सकता है. लेकिन इस कच्ची उम्र में ना तो बच्चा ही होता है और ना ही वयस्क जो सही गलत का अंतर ठीक कर पाए. इस उम्र में पड़ने वाली आदतें बच्चे का भविष्य तय करती हैं. इसलिए पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चे में ऐसी कोई आदत ना पड़ने दें, जो उसे फ्यूचर (Future) में गलत राह की ओर ले जाए या फिर डिप्रेशन (Depression) जैसी घातक मानसिक बीमारी (Mental disease) का शिकार बना दे. ऐसी ही एक आदत (Habit) के बारे में यहां बताया जा रहा है...


टीनेजर बच्चों की परवरिश कैसे करें?


टीनेजर बच्चे के मन पर अपने दोस्तों और आस-पास के माहौल का अधिक प्रभाव पड़ने लगता है. यही वह उम्र होती है, जब वह घर के दायरे से निकलकर समाज को समझने का प्रयास करता है. ऐसे में अपने फ्रेंड्स और आस-पास के लोगों को देखकर बच्चे को देर रात जागने की आदत लग सकती है. रात को देर से सोना और सुबह देर से जागना या फिर रात को देर से सोना और फिर दिन में कई घंटे सोना. इस तरह की आदत बच्चे के मानसिक विकास और मानसिक सेहत पर बहुत बुरा असर डालती है, जिससे उसे भविष्य में गंभीर मानसिक रोगों का सामना करना पड़ सकता है.


ओटावा विश्वविद्यालय (University of Ottawa) के शोधकर्ताओं का कहना है कि देर रात तक जागकर मूवी देखना, पार्टी करना या फिर देर रात तक जागकर पढ़ना भी टीनेजर लड़कों और लड़कियों के लिए भविष्य में खराब मानसिक स्वास्थ्य (Mental illness) का प्रवेश द्वार हो सकता हैं. इसलिए बच्चे को रात में समय पर सोने की आदत डालें. अपनी पढ़ाई वो सुबह सवेरे उठकर भी कर सकता है. सुबह के समय की गई स्टडी को ब्रेन लंबे समय तक याद रखता है और इस समय पर पढ़ने से मेमॉरी भी शार्प (Sharp memory) होती है. इसलिए बच्चे को देर रात तक जागने की जगह सुबह सवेरे जागकर पढ़ने की आदत डालें.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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