टेक्नोलॉजी के इस दौर में प्यार और अपनापन भी डिजिटल हो रहा है. लोग अब चैटबॉट्स से बातें कर रहे हैं, उनसे इमोशनल कनेक्शन महसूस कर रहे हैं. यह चैटबॉट्स न कभी नाराज होते हैं, न बहस करते और हमेशा जवाब देने के लिए तैयार रहते हैं. जो किसी फिल्म की कहानी की तरह लगता था वह आज हकीकत बन चुका है.
हाल ही में अमेरिका में हुई एक स्टडी में पता चला है कि हर 5 में से 1 हाई स्कूल स्टूडेंट ने कभी न कभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ रोमांटिक कनेक्शन बनाया है. स्टडी के अनुसार, 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने या उनके जानने वालों ने एआई से फ्रेंडशिप या साथ पाने के लिए बातचीत की है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लोगों का लगाव क्यों बढ़ रहा है और इंसानी रिश्तों की जगह चैटबॉट्स कैसे ले रहे हैं. एआई से नजदीकी के पीछे लोगों का अकेलापन एआई चैटबॉट्स से बात का यह ट्रेंड भारत में भी तेजी से बढ़ रहा है. McAfee की एक रिपोर्ट के अनुसार 18 से 30 साल की उम्र के 40 प्रतिशत भारतीय युवा चैटबॉट्स से इमोशनल कनेक्शन महसूस कर रहे हैं. कई लोग तो एआई से प्रपोज या शादी करने तक की बात कर रहे हैं. वहीं कई साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि एआई पर बढ़ती निर्भरता असल में अकेलेपन की निशानी है. एक्सपर्ट्स के अनुसार लोग अब दूसरों की जगह को भरने के लिए एआई चैटबॉट्स की तरफ रुख कर रहे हैं. क्योंकि एआई चैटबॉट्स न तो कभी आपसे डिसएग्री करते हैं और न ही आपको जज करते हैं. जिससे यूजर्स को अपनापन का एहसास होता है. एक्सपर्ट के अनुसार एआई की 24 घंटे उपलब्धता और हर समय पॉजिटिव रिएक्शन इंसान के दिमाग के उन हिस्सों को सक्रिय करती है, जो इमोशनल कनेक्शन से जुड़े हुए हैं. हालांकि माना जा रहा है कि इससे धीरे-धीरे इंसान में दया और प्रेम कम होने लगता है. इंसानी रिश्तों पर असर एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब हम एआई से बातचीत करते हैं तो चेहरे के भाव, बॉडी लैंग्वेज और असली इमोशनल कनेक्शन जैसे कई जरूरी तत्व गायब हो जाते हैं. दरअसल एक्सपर्ट्स के अनुसार एआई में असली भावनाएं नहीं होती है, लेकिन यह उनकी नकल बहुत अच्छी तरह करता है. एआई वही करता है जो आप सुनना चाहते हैं. इससे लोगों को लगता है कि उन्हें कोई समझ रहा है जबकि वह अपनी ही सोच का मिरर देख रहे होते हैं. जेन जी हो रहे सबसे ज्यादा प्रभावित एक्सपर्ट के अनुसार जेन जी और मिलेनियल्स यानी इंटरनेट और सोशल मीडिया के जमाने में पली-बढ़ी जनरेशन सबसे ज्यादा जुड़ रही है. एक्सपर्ट्स के अनुसार कोविड महामारी के दौरान जब लोग अकेले थे, तब एआई उनका सहारा बन गया था. वहीं उस समय से अभी तक यह इमोशनल जुड़ाव और गहरा होता गया है. एआई से जुड़ाव को कई लोग सही मानते हैं, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि लगातार यही जुड़ाव इंसानों में असहमति और मतभेद को संभालने की क्षमता को कमजोर कर रहा है. दरअसल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि एआई वहीं जवाब देता है जो आप चाहते हैं. जिससे लोग असली रिश्तों से भागने लगते हैं और इससे लोगों में इमोशनल मजबूती और सहनशीलता कम होती जा रही है, वहीं रिश्ते एक तरफा बन रहे हैं. ऐसे में एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि इंसानों को याद रखना चाहिए कि चैटबॉट्स के जवाब सिर्फ प्रोग्राम किए गए एल्गोरिदम का हिस्सा है. इनमें असली भावना ही नहीं होती है, इसलिए इंसानी रिश्तों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
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