Gita oath in court: हम सभी ने अक्सर फिल्मों में देखा है कि कोर्ट रूम में जज साहब किसी गवाह का बयान लेने से पहले उसे गीता की कसम खिलाते हैं. आपने कभी सोचा है कि आखिर गवाहों को गीता की ही कसम क्यों खिलाई जाती है, रामायण की क्यों नहीं? आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण?
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, भारत में जब मुगल शासकों का दौर था, तब उन्होंने ने ही धार्मिक किताबों पर हाथ रखकर कसम दिलाने की प्रथा शुरू की थी. दरअसल उस दौर में मुगल शासक अपने फायदे के लिए झूठ बोलते थे, जिस वजह से उन्हें भारतीय नागरिकों की बातों पर विश्वास नहीं होता था.
इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने भारत के नागरिकों को अपने धर्म ग्रंथ पर हाथ रखकर शपथ दिलाने की प्रथा शुरू की थी.
दरबापी प्रथा को अंग्रेजों ने दिया कानून का रूप
मुगल शासन काल तक गीता पर हाथ रखकर कसम खिलाने की प्रथा एक दरबारी प्रथा थी, तब इसके लिए किसी भी तरह का कानून नहीं था, लेकिन अंग्रेजों ने इस प्रथा को कानूनी जामा पहना दिया और इसे 'इंडियन ओथ्स एक्ट, 1873' में पास करने के साथ सभी अदालतों में लागू कर दिया.
इस एक्ट के अंतर्गत हिंदू संप्रदाय के लोग गीता और मुस्लिम संप्रदाय के लोग कुरान पर हाथ रखकर कसम खाते थे. वहीं ईसाइयों को बाइबल की शपथ दिलाई जाती थी. हालांकि स्वतंत्र भारत 1957 आते आते इस प्रथा को देश की कुछ शाही अदालतों, जैसे बॉम्बे हाईकोर्ट में यह प्रथा चालू थी.
1969 में ओथ्स एक्ट लागू
भारतीय अदालतों में धार्मिक ग्रंथ पर हाथ रखकर कसम खिलाने की प्रथा 1969 में खत्म कर दी गई. जब लॉ कमीशन ने अपनी तरफ से 28वीं रिपोर्ट सौंपी और देश में भारतीय 'ओथ अधिनियम, 1873' में कुछ बदलाव के सुझाव दिए गए.
इसके स्थान पर ओथ्स एक्ट 1969 लागू हुआ, इस तरह देश में एक समान शपथ कानून लागू किया गया.
कोर्ट में शपथ के लिए गीता ही क्यों?
अपने कभी सोचा है कि, कोर्ट में आखिर गीता पर हाथ रखकर ही क्यों कसम खिलाई जाती है, जबकि रामायण महाकाव्य उससे ज्यादा लोकप्रिय धार्मिक पुस्तक है. इसके पीछे का कारण है कि, रामायण में भगवान श्रीराम के जीवन का उल्लेख देखने को मिलता है. रामायण की किताब पढ़कर लोग आदर्श जीवन का मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं.
लेकिन गीता एक ऐसा महाकाव्य जो लोगों को आदर्श जीवन उपलब्ध कराती है. इसमें केवल महाभारत युद्ध का ही उल्लेख नहीं, बल्कि सच्चाई की स्थापना के लिए मनुष्य को किस तरह का आचरण करना चाहिए इसका भी वर्णन किया गया है.
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