Continues below advertisement

Samudra Manthan: हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, संसार की रचना के वक्त देवताओं और दानवों द्वारा मिलकर समुद्र को मथा गया था. यह समुद्र मंथन का कार्य श्री विष्‍णु, ब्रह्मा और महेश के निर्देशन में संपन्‍न हुआ था. इसे केवल अमृत प्राप्त करने के लिए ही नहीं, बल्कि ब्रह्मांडीय में संतुलन बनाने के लिए भी किया गया था.

इस मंथन से कुल 14 अनमोल रत्न निकले जिनका अपना आध्यात्मिक, दैवी और प्राकृतिक महत्व है. इससे आधुनिक भाषा में द्रव्य भी कहा जाता है. इन रत्नों के बंटवारे के वक्त देवताओं और दानवों के बीच महायुद्ध छिड़ गया था.

Continues below advertisement

जिसे बाद में देवासुर संग्राम के में से भी जाना गया. चलिए जानते है समुद्र मंथन से क्या-क्या प्राप्त हुआ.

1. हालाहल विष

समुद्र मंथन के शुरू होने के एक हजार साल बाद सबसे पहले कालकूट विष निकला. जिसकी ज्वाला से देव-दानव, मनुष्य समेत पूरा लोक संकट में आ गया था. तब संसार की रक्षा के लिए भगवान शिव ने इसे अपने कण्ठ में धारण कर, इसका पान किया. जिसके बाद से वे नीलकण्ठ कहलाने लगे.

2. कामधेनु गाय

सभी कामनाएं पूर्ण करने वाली यह दिव्य गाय कामधेनु को ऋषि वशिष्ठ को सौंपा गया, ताकी वे यज्ञ और धर्मकार्य कर सकें.

3. ऐरावत हाथी

सफेद रंग का यह विशाल और दिव्य हाथी ऐरावत भगवान इंद्र को दिया गया. यह दिव्य हाथी उनके शौर्य और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है.

4. ऊच्चैःश्रवा घोड़ा

अत्यंत तेजस्वी और सफेद रंग का दिव्य घोड़ा दानवों के राजा बलि को मिला.

5. कौस्तुभ मणि

समुद्र मंथन का यह सबसे चमकदार रत्न था, जिसे भगवान विष्णु ने अपने वक्षस्थल पर धारण किया.

6. कल्पवृक्ष

मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला कल्पवृक्ष देवताओं को प्राप्त हुआ और जिसे स्वर्गलोक में स्थापित किया गया.

7. अप्सराएं

समुद्र मंथन से रंभा, मेनका, उर्वशी जैसी अनेक दिव्य अप्सराएं निकलीं, जिन्हें इंद्र लोक में भेजा गया.

8. लक्ष्मी माता

धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी स्वयं मंथन से प्रकट हुईं और उन्होंने भगवान विष्णु को पति के रूप में चुना.

9. वारुणी (मदिरा)

मदिरा की देवी वारुणी दानवों को सोंपा गया.

10. पांचजन्य शंख

यह दिव्य शंख भगवान विष्णु को दिया गया, जो विजय और धर्म का प्रतीक है.

11. धन्वन्तरि

आयुर्वेद के जनक और भगवान विष्णु के अंशावतार, मंथन से ही प्रकट हुए थे.

12. श्रृंगार रत्न

स्त्रियों के अलंकरण हेतु दिव्य गहने देवताओं की रानियों को प्रदान किए गए.

13. चंद्रमा

सुंदर और शीतल चंद्रमा भगवान शिव ने अपने मस्तक पर धारण किया.

14. अमृत कलश

अंत में निकला आखिरी रत्न अमृत था, जिसके लिए दानवों और देवताओं में युद्ध छिड़ गया था. लेकिन अंत में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर अमृत को देवताओ को पिला कर अमर कर दिया.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.